कोरापुट। केन्द्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा (CUO) में सोमवार, 07 अप्रैल 2025 को भाषा अध्ययन के क्षेत्र में कठोर और सार्थक शोध के लिए प्रतिभागियों को आवश्यक ज्ञान और कौशल से सुसज्जित करने के उद्देश्य से एक पाँच दिवसीय शोध पद्धति कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। यह कार्यशाला, जो गुणात्मक (qualitative) और मात्रात्मक (quantitative) दोनों प्रकार की शोध पद्धतियों को कवर करती है, सीयूओ के भाषा संकाय (School of Languages) द्वारा आयोजित की जा रही है।
इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रो. एन. सी. पांडा, कुलपति (प्रभारी) एवं अधिष्ठाता, भाषा संकाय द्वारा किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट स्रोत व्यक्ति प्रो. अरुण रंजन मिश्रा, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, संस्कृत, पाली और प्राकृत विभाग, विश्व-भारती, शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल, उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में ओड़िया, संस्कृत, हिंदी एवं अंग्रेज़ी विभागों के प्राध्यापकगण एवं शोधार्थी उपस्थित रहे। यह कार्यशाला 11 अप्रैल 2025 तक चलेगी।
अपने संबोधन में प्रो. पांडा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के परिप्रेक्ष्य में इस कार्यशाला की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम प्रतिभागियों को अनुसंधान के लिए एक व्यवस्थित और तार्किक ढांचा प्रदान करने का उद्देश्य रखता है, जिससे वे उपयुक्त शोध विधियाँ चुनकर विशेष अनुसंधान प्रश्नों का समाधान कर सकें। उन्होंने शोधार्थियों को विभिन्न शोध तकनीकों में सक्रिय रूप से भाग लेने और उन्हें अपने शैक्षणिक कार्यों में सार्थक रूप से लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया।
प्रो. मिश्रा ने शोध पद्धति की मूल अवधारणाओं का परिचय देते हुए उसकी परिभाषा, क्षेत्र और उपयोग पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने उदाहरणों के माध्यम से समझाया कि शोध पद्धति एक संरचित प्रक्रिया है जिसके माध्यम से शोधार्थी डेटा एकत्रित, विश्लेषण और व्याख्या कर अपने शोध लक्ष्यों को प्रभावी ढंग से प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने प्रतिभागियों से आने वाले दिनों में कार्यशाला के सत्रों का भरपूर लाभ उठाने का आग्रह किया।
इस कार्यशाला का समन्वयन डॉ. रघुनाथ ओझा (ओड़िया), डॉ. देवाशीष कर्मकार (संस्कृत), डॉ. मनोज कुमार सिंह (हिंदी) और डॉ. प्रसेनजीत सिन्हा (अंग्रेज़ी) द्वारा किया जा रहा है। उद्घाटन अवसर पर संकाय सदस्य, विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी, डॉ. फगुनाथ भोई, छात्र एवं शोधार्थी उपस्थित थे।
