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suraj suryavanshi

मैराथन बहस के बाद ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल-2024 पारित

  • शाम चार बजे शुरू होकर लगभग 12 घंटे लंबी और तीव्र बहस हुई

  • सुबह 4.29 पर हुआ पारित

भुवनेश्वर। ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल 2024 को गुरुवार की तड़के विधानसभा में पारित कर दिया गया। इसके लिए लगभग 12 घंटे लंबी और तीव्र बहस हुई। यह सत्र लगभग सुबह 4:29 बजे समाप्त हुआ, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी और विपक्ष के बीच महत्वपूर्ण विचार-विमर्श हुआ।
विपक्ष के वरिष्ठ विधायक अरुण साहू ने इस बिल का पुरजोर विरोध करते हुए लगभग दो घंटे तक अपनी बात रखी। विपक्षी विधायक रणेन्द्र प्रताप स्वाईं, गणेश्वर बेहरा, ध्रुब साहू व अन्य विधायकों ने इस बिल का विरोध किया।
उनके विरोध का जवाब उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने दिया, जिन्होंने प्रस्तावित संशोधनों का बचाव किया। सूरज ने एक एक कर विपक्ष के सभी आरोपों का जवाब दिया। बहस में सत्तारूढ़ पार्टी के कई विधायकों और मंत्रियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
काफी बहस के बाद, ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल 2024 विधानसभा में सफलतापूर्वक पारित कर दिया गया। बिल के पारित होने के बाद मंत्री सूरज ने अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि यह नया कानून ओडिशा के शिक्षा क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत करेगा। उन्होंने विधानसभा के सभी सदस्यों का आभार भी व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री मोहन माझी इस दौरान उपस्थित रहे, साथ ही उपमुख्यमंत्री प्रभाति परिडा भी इस दौरान सदन में मौजूद थीं। हालांकि, विपक्ष के नेता नवीन पटनायक इस सत्र के दौरान अनुपस्थित रहे।
विधेयक के मुख्य बिंदु
1. विश्वविद्यालय सीनेट प्रणाली का पुनरुद्धार: विश्वविद्यालय सीनेट प्रणाली को पुनः लागू किया जाएगा।
2. उप कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया: कार्यकाल समाप्त होने से कम से कम छह महीने पहले नए उप कुलपति की नियुक्ति की तैयारी होगी। एक तीन सदस्यीय नियुक्ति समिति इस प्रक्रिया की निगरानी करेगी। इसमें एक सदस्य कुलाधिपति द्वारा, एक सदस्य यूजीसी अध्यक्ष द्वारा और एक सदस्य विश्वविद्यालय सिंडिकेट द्वारा नियुक्त होगा।
3. उम्मीदवारों का चयन: समिति तीन उम्मीदवारों की सूची तैयार करेगी, जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक विभाग में कोई लंबित मामला नहीं होगा। राज्यपाल द्वारा इनमें से किसी एक को उप कुलपति नियुक्त किया जाएगा।
4. कार्यकाल और पुनर्नियुक्ति: कार्यकाल चार साल का होगा या 70 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो। एक बार पुनर्नियुक्ति की अनुमति होगी।
5. उप कुलपति की अनुपस्थिति में व्यवस्था: अनुपस्थिति की स्थिति में वरिष्ठ प्रोफेसर कार्यभार संभालेंगे।
6. प्रशासनिक त्रुटियों पर कार्रवाई: उप कुलपति द्वारा प्रशासनिक त्रुटि होने पर राज्यपाल स्पष्टीकरण मांग सकते हैं। निलंबन से पहले प्रारंभिक जाँच होगी और राज्य सरकार से परामर्श लिया जाएगा।

केंद्र शिक्षा मंत्री ने स्वागत किया
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2024 के विधानसभा में पारित होने का स्वागत किया है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने लिखा कि ओडिशा में शैक्षिक संस्थानों की स्वायत्तता को सम्मान देने, शिक्षा को सर्वव्यापी और समावेशी बनाने, शिक्षा के गुणवत्ता मानकों में सुधार लाने और शिक्षकों का मनोबल बनाए रखने के उद्देश्य से प्रस्तावित ओडिशा विश्वविद्यालय (संशोधन) बिल, 2024 का विधानसभा में पारित होना स्वागतयोग्य है।
इस बिल में प्रस्तावित संशोधन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्यों के अनुरूप हैं, जो विश्वविद्यालयों के प्रशासन को आधुनिक बनाने, अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी प्रशासन सुनिश्चित करने और शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए गए हैं।
बिल में यूजीसी मानकों के साथ समन्वय बनाए रखने और समावेशी निर्णय लेने पर जोर दिया गया है। इन संशोधनों से न केवल विश्वविद्यालय प्रशासन में सुधार होगा, बल्कि शैक्षिक वातावरण और शैक्षिक संस्थानों के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री मोहन माझी के नेतृत्व और उच्च शिक्षा मंत्री सूर्यवंशी सूरज के प्रयासों से राज्य सरकार विश्वविद्यालय व्यवस्था के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक पर सत्ता और विपक्ष में टकराव

ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2024 को लेकर ओडिशा विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई। बीजद विधायक अरुण साहू ने आरोप लगाया कि यह विधेयक जल्दबाजी में लाया गया है और इसकी वैधता पर सवाल उठाए।
बीजद विधायक अरुण साहू ने कहा कि भाजपा सरकार ने ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक को जल्दबाजी में लायी है। विश्वविद्यालय अधिनियम 1989 में लागू हुआ था और इसे 31 साल बाद 2020 में तत्कालीन बीजद सरकार ने संशोधित किया था। यूजीसी ने 2020 के विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और मामला अब भी न्यायालय में लंबित है। ऐसे में इस नए विधेयक की वैधता पर सर्वोच्च न्यायालय में चर्चा होगी।
साहू ने इस विधेयक को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इस मामले पर निर्णय लेना अदालत का काम है और जब पुराना मामला लंबित है, तो नए विधेयक को इतनी जल्दी लाने का क्या औचित्य है। उन्होंने भाजपा सरकार पर जल्दबाजी में फैसले लेने का आरोप लगाया।
भाजपा विधायक ईरासिस आचार्य का पलटवार
वहीं, भाजपा विधायक ईरासिस आचार्य ने इस विधेयक का जोरदार समर्थन किया और इसे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम बताया। उन्होंने कहा कि ओडिशा विधानसभा में 12.5 घंटे की मैराथन बहस के बाद ओडिशा विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक 2024 पारित हुआ। यह विधेयक राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा।
आचार्य ने यह भी कहा कि राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद लोकतंत्र को एक बार फिर मजबूती मिली है। उन्होंने दावा किया कि यह विधेयक विश्वविद्यालयों में शिक्षा और प्रशासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा तथा छात्रों और शिक्षकों के बीच बेहतर संवाद स्थापित करेगा।

 

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