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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद वसूली में लापरवाही पर कैग ने उठाए सवाल
भुवनेश्वर। महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध खनन के लिए ओडिशा सरकार पर लगाए गए 3,966.34 करोड़ रुपये (ब्याज सहित) के जुर्माने की वसूली में सरकार विफल रही है। यह रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई।
कैग की परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2017 में ओडिशा सरकार को निर्देश दिया था कि बिना पर्यावरणीय स्वीकृति (ईसी) या वन स्वीकृति (एफसी) के अवैध रूप से निकाले गए खनिजों पर जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट ने अवैध रूप से निकाले गए खनिजों की 100 प्रतिशत कीमत की वसूली का आदेश दिया था।
131 खनन पट्टाधारियों पर जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय सशक्त समिति (सीईसी) ने जनवरी 2018 में जारी अपनी रिपोर्ट में 131 खनन पट्टाधारकों से कुल 19,174.38 करोड़ रुपये की वसूली का सुझाव दिया था। इनमें से 82 पट्टाधारकों ने दिसंबर 2017 तक 8,289.87 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, लेकिन शेष 10,884.51 करोड़ रुपये अब तक बकाया हैं।
कोर्सिव एक्शन के बावजूद वसूली में कमी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद स्टील और खनिज निदेशक ने फरवरी 2018 में सुंदरगढ़, केंदुझर और मयूरभंज के जिला कलेक्टरों को ओडिशा पब्लिक डिमांड रिकवरी (ओपीडीआर) अधिनियम, 1962 के तहत सर्टिफिकेट मामले दर्ज करने का आदेश दिया था।
वसूली में लापरवाही पर कैग की नाराजगी
जनवरी 2023 तक सरकार ने कुल 7,371.12 करोड़ रुपये की वसूली कर ली थी, जिसमें देर से भुगतान पर ब्याज भी शामिल था। हालांकि, 3,966.34 करोड़ रुपये की वसूली अब भी लंबित है।
कैग रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अवैध खनन मामले में बकाया राशि की वसूली के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। डिफॉल्ट करने वाले खनन पट्टाधारकों की अचल संपत्तियों की कुर्की जैसे कदम भी नहीं उठाए गए।
सरकार की कार्यक्षमता पर उठे सवाल
कैग ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में देरी से राजस्व वसूली में भारी कमी आई है। इससे सरकार की दक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं और जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही उजागर हुई है।
कैग की परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2017 में ओडिशा सरकार को निर्देश दिया था कि बिना पर्यावरणीय स्वीकृति (ईसी) या वन स्वीकृति (एफसी) के अवैध रूप से निकाले गए खनिजों पर जुर्माना लगाया जाए। कोर्ट ने अवैध रूप से निकाले गए खनिजों की 100 प्रतिशत कीमत की वसूली का आदेश दिया था।
131 खनन पट्टाधारियों पर जुर्माना
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त केंद्रीय सशक्त समिति (सीईसी) ने जनवरी 2018 में जारी अपनी रिपोर्ट में 131 खनन पट्टाधारकों से कुल 19,174.38 करोड़ रुपये की वसूली का सुझाव दिया था। इनमें से 82 पट्टाधारकों ने दिसंबर 2017 तक 8,289.87 करोड़ रुपये का भुगतान किया था, लेकिन शेष 10,884.51 करोड़ रुपये अब तक बकाया हैं।
कोर्सिव एक्शन के बावजूद वसूली में कमी
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद स्टील और खनिज निदेशक ने फरवरी 2018 में सुंदरगढ़, केंदुझर और मयूरभंज के जिला कलेक्टरों को ओडिशा पब्लिक डिमांड रिकवरी (ओपीडीआर) अधिनियम, 1962 के तहत सर्टिफिकेट मामले दर्ज करने का आदेश दिया था।
वसूली में लापरवाही पर कैग की नाराजगी
जनवरी 2023 तक सरकार ने कुल 7,371.12 करोड़ रुपये की वसूली कर ली थी, जिसमें देर से भुगतान पर ब्याज भी शामिल था। हालांकि, 3,966.34 करोड़ रुपये की वसूली अब भी लंबित है।
कैग रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि अवैध खनन मामले में बकाया राशि की वसूली के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए गए। डिफॉल्ट करने वाले खनन पट्टाधारकों की अचल संपत्तियों की कुर्की जैसे कदम भी नहीं उठाए गए।
सरकार की कार्यक्षमता पर उठे सवाल
कैग ने सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने में देरी से राजस्व वसूली में भारी कमी आई है। इससे सरकार की दक्षता पर सवाल खड़े हो गए हैं और जिम्मेदारी निभाने में लापरवाही उजागर हुई है।