Sat. Apr 19th, 2025
  • राज्यसभा में अपने सांसदों को ‘अंतरात्मा की मतदान’ का विकल्प दिया, विरोध का नहीं

भुवनेश्वर। वक्फ संशोधन विधेयक पर बीजू जनता दल (बीजद) के रुख में बड़ा बदलाव देखा गया है। पार्टी ने राज्यसभा में अपने सांसदों को ‘अंतरात्मा की मतदान’ का विकल्प दिया है, विरोध का नहीं। इसे अप्रत्यक्ष रूप से मोदी सरकार को समर्थन माना जा रहा है।

हालांकि बीजद हमेशा से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों से “समान दूरी” बनाए रखने का दावा करती रही है, लेकिन संसद में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर उसने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार का साथ दिया है। इनमें अनुच्छेद 370 हटाने, तीन तलाक विधेयक और नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन शामिल है। हाल ही में दिल्ली सेवा विधेयक पर भी बीजद ने भारतीय जनता पार्टी का साथ दिया था, जबकि कई विरोधी दलों ने इसे असंवैधानिक बताया था।

इस बीच साल 2024 के दोहरे चुनावों में करारी हार के बाद जब बीजद को लोकसभा में एक भी सीट नहीं मिली और विधानसभा में जादुई आंकड़ा हासिल नहीं कर पाई तो नवीन पटनायक ने विपक्ष की मजबूत और रचनात्मक भूमिका निभाने का संकल्प लिया था।

इसके बाद जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धन्यवाद प्रस्ताव पर उत्तर के दौरान बीजद के नौ सांसदों ने विपक्ष के साथ सदन से बहिर्गमन किया था।

पिछले महीने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा परिसीमन पर बुलाई गई संयुक्त कार्य समिति की बैठक में बीजद के दो वरिष्ठ नेता पूर्व राज्यसभा सदस्य अमर पटनायक और पूर्व मंत्री संजय दासबर्मा ने भाग लिया था। इसे भारतीय जनता पार्टी से दूरी बनाने की दिशा में पार्टी के रुख का संकेत माना गया था।

अब बीजद के इस बदलते रुख और वक्फ विधेयक पर ‘अंतरात्मा की मतदान’ के फैसले ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को जन्म दे दिया है।

 

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