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भक्तों के बिना आयोजित हो रथयात्रा- शंकराचार्य

  •  कहा- जीवन रक्षा के लिए कोविद-19 के नियमों का पालन भी हो सुनिश्चित

पुरी. पुरी में महाप्रभु श्री जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों की वार्षिक रथयात्रा को लेकर मंडरा रहे अनिश्चितता के बादल के बीच पुरी के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती ने कहा है कि यात्रा को श्रीमंदिर की परंपरा के अनुसार आयोजित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह यात्रा भक्तों के बिना निकाली जा रही है. साथ ही यह भी ध्यान रखना होगा कि इस दौरान कोविद-19 के नियमों का उल्लंघन नहीं हो. उन्होंने कहा कि या तो इस यात्रा की सभी रस्में मंदिर परिसर के अंदर आयोजित करें या तीनों मूर्तियों के साथ हमेशा की तरह बाहर ले जायें, लेकिन परंपरा को बचाये रखने के लिए रथयात्रा निकालना सुनिश्चित करना होगा. परंपरा को बचाने के साथ-साथ भक्तों की जीवन के रक्षा भी जरूरी है, इसलिए कोविद-19 के नियमों का पालन करना होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि हालांकि इस संर्दभ में किसी भी अधिकारी ने अब तक उनसे संपर्क किया है. उन्होंने कहा कि यदि सुझाव के लिए कोई अधिकारी संपर्क करता है तो वह अपना अंतिम निर्णय बता सकते हैं.
इस बीच में रथयात्रा को लेकर एक मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. इसमें रथयात्रा को रद्द करने की मांग की गयी है. जानकारी के अनुसार, एक गैरसरकारी संगठन ओडिशा विकास परिषद ने कथित रूप से ओडिशा उच्च न्यायालय के उस फैसले के बाद शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर की है कि केंद्र और राज्य को रथयात्रा पर अंतिम निर्णय लेना चाहिए. उच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो सरकार मशीनों या हाथियों के द्वारा रथों को खींचने के बारे में सोच सकती है. इस बीच, एक अन्य गैरसरकारी संगठन भारतीय विकास परिषद ने रथयात्रा को रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अवकाश याचिका दायर की है.

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