गोविंद राठी, बालेश्वर, कोरोना महामारी के प्रकोप को झेल रही दुनिया में जहां दिन पर दिन लगातार संक्रमण की संख्या बढ़ती जा रही है एवं आर्थिक गतिविधियों को दोबारा रफ्तार देने के लिए देश ने अनलॉक-1 प्रक्रिया शुरू कर दी है, वहीं आज भी दूसरी जगह पर फंसे मजदूर एवं श्रमिकों के परिवार अपने घर जाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. सरकार द्वारा तमाम कोशिशों के बावजूद लोगों की जिंदगी अभी तक सामान्य नहीं हो पा रही है. रोजाना राष्ट्रीय राजमार्ग पर हजारों की तादाद में प्रवासी श्रमिक अपने घर लौट रहे हैं.
कोई साइकिल में, कोई पैदल कोई बस के जरिए हजारों किलोमीटर का सफर तय कर अपने घर वापस आ रहे हैं. इन लोगों की सेवा के लिए कई संस्थान सामने आए हैं. मगर जब से अनलाक वन शुरू कर दिया गया है इनकी सेवा में भी धीरे-धीरे कमी आने लगी है. इस परिस्थिति में बालेश्वर के कुछ युवा वर्ग के लोग इनकी सहायता के लिए सामने आए हैं. एक और जहां राज्य के 11 जिलों में शनिवार और रविवार को शटडाउन की घोषणा की गई है, वहीं इन श्रमिकों को खाने पीने की सुविधा मुहैया करवाने के लिए यह युवक निरंतर प्रयास कर रहे हैं.
पिछले 30 दिनों से लगातार रोजाना राष्ट्रीय राजमार्ग पर शेरगढ़ के निकट यह सभी श्रमिकों मजदूरों एवं प्रवासियों को खाने की सामग्री, पानी, दवाईंया, छत्री एवं जरूरत की सभी सामग्रियां उपलब्ध करवाते आ रहे हैं. मुख्य तौर पर स्वरूप दास, मनीष सराओगी, धर्मेंद्र मोर, कैलाश बेहरा, साहिरुल हक्क, बिरेश्वर दास, शेलिन्दर सिंह, चरणजीत सिंह, प्रबीर पटनायक, विष्णु खंडेलवाल प्रमुख है. यहां तक कि इन युवकों ने प्रशासन की सहायता से पैदल आ रहे हैं कई मजदूरों को राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रकों के जरिए अपने गंतव्य तक पहुंचाया है. इनके इस कार्य की प्रशंसा यहां के सभी माहौल में हो रही है. यहां के स्थानीय लोग इनके इस सेवा कार्यों की काफी सराहना कर रहे हैं. तेज धूप एवं बारिश में भी सेवा के लिए इनका हौसला बुलंद है.