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संक्रमण के भय ने रौनक को किया फीका
गोविंद राठी, बालेश्वर
हिंदू परंपरा व रिवाजों में रज पर्व शुभ अवसरों में एक माना जाता है. मिथुन नक्षत्र में सूर्य के घूमने के अवसर पर मनाया जाने वाला रज पर्व (संक्राति) को दक्षिण भारत में मिथुन संक्रमण पर्व के नाम से जाना जाता है. ओडिशा में लोग इसे रज संक्रांति के रूप में मनाते हैं. आगामी 14 जून को मनाए जाने वाले रज पर्व में चार दिनों तक अनेक गतिविधियां होती हैं. ओडिशा में कृषि वर्ष की शुरुआत के साथ-साथ विशेष रूप से इस पर्व को मनाते हुए लोग पहली बारिश का स्वागत करते हैं. रज पर्व की धूम राज्य के सभी जिलों में देखी जाती है.
ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लेकर अनुगूल, बालेश्वर, मयूरभंज, केंद्रपड़ा, कटक समेत सभी जिलों में लोग पूरी तरह से रज में रंग जाते हैं. हालांकि यह पर्व कुवांरी लड़कियों का है, लेकिन परिवार के लोगों की भूमिका के बिना यह पर्व नहीं मन सकता है. किशोरियों के लिए जगह-जगह झूले की व्यवस्था की जाती है, पीठा, आम, कटहल आदि फलों का सेवन तथा रज पर्व पर मीठा पान खाने की अपनी एक अलग ही परंपरा है.
लड़कियों के साथ-साथ कोई भी ऐसा नहीं होगा, जो रज का पान न खाता हो. रज पर्व हर जगह पान की विशेष दुकानें सजी रहती हैं. बालेश्वर में रंजन दास की दुकान का पान लोगों की पहली पसंद होता है. काजू, किशमिश, कैंडी के साथ तैयार पान खरीदने के लिए लोगों की लंबी कतार लगती है. 10 रुपये से लेकर 200 रुपये तक का मीठा पान लोग शान से खरीदते हैं. रंजन दास की मानें तो उनके पान के शौकीन केवल शहर में ही नहीं बल्कि उत्तर ओडिशा के साथ-साथ राज्य के विभिन्न जिलों से लोग यहां पान खाने आते हैं.
रज पर्व पर मीठा पान की मांग जर्दा पान की तुलना में ज्यादा होती है. पान के रस का उल्लेख आयुर्वेद में भी है कि पान खाने से कोई रोग नहीं होता बल्कि पाचन शक्ति बढ़ती है. उल्लेखनीय है कि जो पर्यटक चादीपुर, पंचलींगेश्वर, इमामी जगन्नाथ मंदिर आदि जगहों पर घूमने आते हैं, वे बालेश्वर में यहां की दुकान का पान खाना नहीं भूलते. ओड़िया में एमए की पढ़ाई करने के बाद रंजन दास को जब नौकरी नहीं मिली तो पान की दुकान खोल इसे पेशा बना लिया. रंजन की दुकान में बनारसी पान, बालेश्वरी, काली बंगला, फ्लेवर पान केशर युक्त पान और कस्तूरी आदि वैरायटी उपलब्ध हैं. मगर इस साल जहां पुरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है, रज के अवसर पर उनके पान के व्यापार पर काफी असर पड़ा है.
सरकार द्वारा लगाये गये प्रतिबंध के कारण वे ठीक तरह से उनकी दुकान भी नहीं खोल पा रहे हैं. आम तौर पर रज के दौरान उनकी दुकान पर होने वाली कतार के मद्देनजर, कोरोना के दौरान सोशियल डिस्टेंसिंग के नियमों के उल्लंघन के डर से लोगों का जमावड़ा नहीं होने देना चाहते हैं. इस कारण इस वर्ष लोग उनके पान की उपलब्धि ना होने से काफी निराश हैं. उधर जिले में 14 तारीख को शटडाउन होने के कारण भी पान का व्यापार ठीक तरह से नहीं हो पाएगा. रंजन साहू ने अपनी दुकान में विभिन्न प्रकार के बैनर लगाकर लोगों को पान खाकर इधर-उधर ना थूकने की सलाह देने के साथ-साथ कोरोना से लड़ने के प्रति जागरूकता फैला रहे हैं.