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उच्च न्यायालय ने 2 अप्रैल तक का समय दिया
कटक। कटक स्थित श्री रामचंद्र भंज (एससीबी) चिकित्सा महाविद्यालय और अस्पताल में नवजात शिशु बदलने के आरोपों को लेकर ओडिशा उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने सोमवार को अस्पताल अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे 2 अप्रैल, 2025 तक इस मामले में अपना पक्ष रखें।
याचिकाकर्ता के अनुसार, 10 फरवरी को उनकी पत्नी को प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग में भर्ती कराया गया था। 11 फरवरी की सुबह 9 बजे उन्होंने एक स्वस्थ कन्या शिशु को जन्म दिया। जन्म के समय शिशु पूरी तरह स्वस्थ था और सामान्य रूप से रो रहा था। परिवार ने नवजात की तस्वीरें भी ली थीं।
लेकिन कुछ देर बाद बिना किसी गंभीर समस्या के शिशु को अस्पताल के गहन चिकित्सा कक्ष में ले जाया गया। 12 फरवरी को जब नवजात की दादी उसे देखने पहुंचीं, तो अस्पताल कर्मियों ने उन्हें एक मृत शिशु सौंप दिया। परिवार ने शुरुआत में इसे स्वीकार कर लिया और अंतिम संस्कार के लिए महानदी ले गए।
रेत से भरी गठरी देख सन्न रह गए परिजन
जब अंतिम संस्कार से पहले मृत शिशु का चेहरा देखा गया, तो परिवार स्तब्ध रह गया। जांच करने पर पाया गया कि जो गठरी अस्पताल से दी गई थी, उसमें केवल रेत लिपटी हुई थी। इससे परिजनों के मन में संदेह पैदा हो गया कि कहीं उनके स्वस्थ शिशु को बदल तो नहीं दिया गया।
न्याय के लिए उच्च न्यायालय की शरण
याचिकाकर्ता ने अस्पताल प्रशासन, मंगलाबाग थाना, कटक पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी से इस मामले की शिकायत की, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उच्च न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे केवल लापरवाही नहीं, बल्कि विश्वासघात करार दिया।
अब न्यायालय के निर्देश के बाद अस्पताल प्रशासन को 2 अप्रैल तक जवाब देना होगा। इस मामले को लेकर पूरे राज्य में चिंता और आक्रोश का माहौल है।