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नवीन पटनायक की दिल्ली यात्राओं पर राजनीति गरमाई

  • भाजपा-बीजद में तीखी तकरार

  • दो नावों में पैर – सरोज पाढ़ी

भुवनेश्वर। बीजद सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बार-बार दिल्ली यात्राओं को लेकर ओडिशा की राजनीति में गर्माहट आ गई है। भाजपा ने उन पर निशाना साधा। इस मुद्दे पर भाजपा और बीजद के बीच बयानबाजी तेज हो गई है, जिसमें भाजपा ने नवीन पटनायक पर विभिन्न राजनीतिक गुटों के बीच संतुलन साधने का आरोप लगाया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक सरोज पाढ़ी ने नवीन पटनायक पर करारा हमला बोलते हुए कहा कि 2024 के चुनावी हार के बाद वह राजनीतिक असमंजस में हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले नवीन बाबू और उनके करीबी लगातार दिल्ली जा रहे थे और भाजपा का समर्थन पाने की कोशिश कर रहे थे। अब हार के बाद वह बेचैन नजर आ रहे हैं। पहले उन्होंने डीएमके प्रमुख स्टालिन की बैठक में बीजद प्रतिनिधि भेजा और अब वह फिर से दिल्ली दौड़ पड़े हैं। संभवतः वह अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए बातचीत कर रहे हैं।
भाजपा का दावा है कि नवीन पटनायक अब इंडिया गठबंधन की ओर झुक रहे हैं और ‘राजा चक्र’ घोटाले जैसे मामलों को लेकर चिंतित हैं, जिससे उनकी पार्टी कानूनी पचड़ों में फंस सकती है। उन्होंने कहा कि राजा चक्र मामले की जांच चल रही है और कौन इसके घेरे में आएगा, यह कहना मुश्किल है। लेकिन यह सुनने में आ रहा है कि नवीन पटनायक के करीबी इससे जुड़े हो सकते हैं। इसी वजह से वह उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं और दिल्ली में नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।
भाजपा को इतनी घबराहट क्यों – बीजद
इन आरोपों का जवाब देते हुए बीजद विधायक शारदा जेना ने भाजपा की चिंताओं को निराधार बताया और कहा कि नवीन पटनायक की दिल्ली यात्राएं कोई नई बात नहीं हैं। उन्होंने कहा कि नवीन पटनायक पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और दिल्ली जाना उनके लिए कोई नई बात नहीं है। वहां उनका घर भी है और दोस्त भी। भाजपा को इतनी घबराहट क्यों हो रही है? मुझे लगता है कि भाजपा खुद डर के माहौल में है, क्योंकि नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के साथ उसकी स्थिति ठीक नहीं है।
बीजद ने नवीन पटनायक की राजनीतिक स्थिति का बचाव करते हुए कहा कि वह केवल ओडिशा के विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और किसी राजनीतिक चालबाजी में नहीं लगे हैं।
दिल्ली यात्राओं के पीछे की रणनीति?
बीजद का दावा है कि इन यात्राओं में कुछ भी असामान्य नहीं है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नवीन पटनायक राष्ट्रीय राजनीति में खुद को रणनीतिक रूप से स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन से बीजद नेताओं की मुलाकात के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि वह बदलते राजनीतिक समीकरणों में नई संभावनाओं की तलाश में हैं।
चुनाव के बाद ओडिशा की राजनीति तेजी से बदल रही है, ऐसे में नवीन पटनायक की अगली रणनीति पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। भाजपा और बीजद दोनों ही अगले राजनीतिक दौर की तैयारी में जुट गए हैं।

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