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आरटीई नियमों पर उठाए सवाल
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नए नियम से मार्च से सितंबर के बीच जन्मे बच्चों के लिए संकट
भुवनेश्वर। ओडिशा में आरटीई-परदर्शी पोर्टल के माध्यम से कक्षा 1 में प्रवेश के लिए आयु सीमा को लेकर अभिभावकों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। राज्य सरकार के नियमों के अनुसार, केवल उन्हीं बच्चों का पंजीकरण किया जा सकता है, जिन्होंने 1 सितंबर तक छह वर्ष की आयु पूरी कर ली हो।
यह नियम उन बच्चों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है, जो 31 मार्च से 1 सितंबर के बीच छह वर्ष के हो रहे हैं। ऐसे बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों के दाखिले को लेकर असमंजस और नाराजगी जता रहे हैं।
राज्य अभिभावक महासंघ (राज्य अभिभावक महासंघ) ने इस आयु सीमा का कड़ा विरोध किया है। संगठन ने राज्य और केंद्र सरकार की प्रवेश आयु संबंधी नीतियों में विरोधाभास की ओर ध्यान दिलाया है। केंद्र सरकार द्वारा संचालित केंद्रीय विद्यालयों में 6 से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्रवेश की अनुमति है, जबकि ओडिशा में 1 सितंबर की कट-ऑफ तिथि के कारण कई बच्चों का नामांकन नहीं हो पा रहा है।
निजी स्कूलों को फायदा पहुंचाने का आरोप
अभिभावकों का आरोप है कि यह नीति निजी स्कूलों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई है। उन्होंने दावा किया कि पूरे राज्य में लगभग 7,000 निजी स्कूल हैं, लेकिन अब तक केवल 2,889 स्कूलों ने ही आरटीई-परदर्शी पोर्टल पर पंजीकरण कराया है। इससे इस प्रणाली की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
राज्य सरकार 2025-26 शैक्षणिक वर्ष से नई शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने की योजना बना रही है, लेकिन प्रवेश की आयु पात्रता को लेकर उठे विवाद ने कई अभिभावकों को चिंता में डाल दिया है।
अभिभावकों की नाराजगी और साजिश का आरोप
राज्य अभिभावक महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष प्रसन्ना बिसोई ने कहा कि जब पूरे देश में प्रवेश की अंतिम तिथि 31 मार्च है, तो ओडिशा में 1 सितंबर कैसे हो सकती है? यह एक सुनियोजित साजिश है। प्रवेश की अंतिम तिथि समाप्त होने के बाद, निजी स्कूल 25 प्रतिशत आरक्षित सीटों को बेच देंगे।