Thu. Apr 17th, 2025
  •  आग से निपटने के लिए 15,723 किमी नई फायरलाइन तैयार : पीसीसीएफ

भुवनेश्वर। ओडिशा में इस गर्मी के दौरान जंगल की आग की घटनाओं में बढ़ोतरी के बीच वन विभाग ने 15,723 किलोमीटर की नई फायरलाइन तैयार की है, ताकि जंगल की आग को फैलने से रोका जा सके। यह जानकारी प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) और वन बल प्रमुख (एचओएफएफ) सुरेश पंत ने सोमवार को दी।
वन विभाग ने आग पर नियंत्रण के लिए व्यापक प्रयास किए हैं, लेकिन जब आग गंभीर रूप से भड़कती है, तो गृह विभाग के माध्यम से ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स (ओड्राफ) को तैनात किया जाएगा। ओडिशा, जंगल की आग से निपटने के लिए ओडिशा फॉरेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम (ओएफएमएस) के तहत विकसित ‘फॉरेस्ट फायर एप्लिकेशन’ का उपयोग करने वाला अग्रणी राज्य बन गया है।
निगरानी के लिए एआई तकनीक का उपयोग
वन विभाग ने आग पर वास्तविक समय में नजर रखने के लिए मयूरभंज जिले के सिमिलिपाल जंगलों में पांच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित कैमरे लगाए हैं।
बढ़ते तापमान और सूखे मौसम कारण
बताया गया है कि बढ़ते तापमान और सूखे मौसम की वजह से जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। फरवरी 2025 के एक सप्ताह में 1,956 में से 46% आग की घटनाएं दर्ज की गईं। भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) ने फरवरी के मध्य तक सिर्फ कोरापुट सर्कल में 11 बड़े जंगल की आग के मामले दर्ज किए, जो दक्षिणी ओडिशा में पेड़ों के पत्ते झड़ने की शुरुआती प्रवृत्ति के कारण और गंभीर हो गए।
कोरापुट सर्कल सबसे अधिक संवेदनशील
राज्य के 27.97% वन क्षेत्र को अत्यधिक अग्नि-प्रवण श्रेणी में रखा गया है, जिनमें 57,066 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है। खासकर कोरापुट सर्कल सबसे अधिक संवेदनशील है, जहां उष्णकटिबंधीय शुष्क वन और मानव बस्तियां मौजूद हैं।
आग के लिए मानवीय गतिविधियां भी जिम्मेदार
जंगल की आग के लिए मानवीय गतिविधियां भी जिम्मेदार हैं, जैसे झूम खेती, महुआ फूल (स्थानीय रूप में महुला) संग्रह के दौरान सूखी पत्तियों को जलाने की प्रथा और भूमि सफाई, जो खासकर केंदुझर के आदिवासी इलाकों में देखी गई। वर्ष 2025 में अब तक 1,100 से अधिक आग की घटनाएं वन क्षेत्र के बाहर से उत्पन्न हुई हैं।
सरकार जंगल की आग को रोकने के लिए सतर्कता बढ़ा रही है और नई तकनीकों को अपनाकर इस संकट से निपटने का प्रयास कर रही है।

Share this news

By desk

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *