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‘बंदे उत्कल जननी’ विवाद पर जय नारायण मिश्र ने तोड़ी चुप्पी
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला का दिया हवाला
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कहा- एक राष्ट्रगान और एक राष्ट्रीय ध्वज के सिद्धांत का पालन करता है भारत
भुवनेश्वर। भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक जय नारायण मिश्र ने ‘बंदे उत्कल जननी’ को ओडिशा के राज्य गीत के रूप में मान्यता देने के विवाद पर अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि किसी भी राज्य का आधिकारिक रूप से कोई विशेष गीत या ध्वज नहीं हो सकता, क्योंकि भारत एक राष्ट्रगान और एक राष्ट्रीय ध्वज के सिद्धांत का पालन करता है।
जय नारायण मिश्र ने इस मुद्दे पर ऐतिहासिक दृष्टिकोण रखते हुए कहा कि वर्तमान ओडिशा तीन अलग-अलग क्षेत्रों—उत्कल, कलिंग और कोशल को मिलाकर बना था। ऐसे में उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी एक क्षेत्र को महत्व देना बाकी दो क्षेत्रों के साथ अन्याय नहीं होगा? क्या उनकी पहचान को नजरअंदाज कर दिया जाएगा?
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर पूरे राज्य को समान रूप से प्रतिनिधित्व देना है, तो एक ऐसा गीत होना चाहिए जो राज्य के सभी 30 जिलों की संस्कृति और पहचान को सम्मान दे।
‘बंदे उत्कल जननी’ की जगह ‘बंदे ओडिशा जननी’ हो स्वीकार्य
जय नारायण मिश्र ने कहा कि उन्हें ‘बंदे उत्कल जननी’ नाम पर आपत्ति है, लेकिन यदि इसे ‘बंदे ओडिशा जननी’ कर दिया जाए, तो उन्हें कोई समस्या नहीं होगी। क्योंकि यह पूरे राज्य का प्रतिनिधित्व करेगा। ओडिशा की प्रगति सभी क्षेत्रों के विकास पर निर्भर करती है, न कि केवल एक पर।
सांस्कृतिक पहचान का सम्मान जरूरी
जय नारायण मिश्र ने ओडिशा के विकास में सत्ता के विकेंद्रीकरण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सरकार को सभी क्षेत्रों की समान रूप से उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और प्रत्येक क्षेत्र की भाषा, संस्कृति और पहचान को समान सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक हर क्षेत्र को समान महत्व नहीं मिलेगा, तब तक ओडिशा का समग्र विकास संभव नहीं है। शासन को सभी कोनों तक पहुंचाना जरूरी है और प्रत्येक क्षेत्र की भाषा और संस्कृति को मान्यता मिलनी चाहिए।
ओड़िया अस्मिता पर हमला नहीं, क्षेत्रीय विकास की मांग
जय नारायण मिश्र ने स्पष्ट किया कि उनकी बातों को ओड़िया अस्मिता पर हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई अपने क्षेत्र के विकास की मांग करता है, तो उसे ओडिशा की एकता को कमजोर करने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
बीजद पर हमला, 24 साल के शासन पर उठाए सवाल
जय नारायण मिश्र ने बीजद सरकार के 24 साल के शासन की कड़ी आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्होंने न केवल पश्चिमी ओडिशा बल्कि तटीय ओडिशा के विकास की भी अनदेखी की। जब एक मुख्यमंत्री ओड़िया में नहीं बोलते थे, तब ओड़िया अस्मिता को ठेस नहीं पहुंची। लेकिन जब मैं अपने क्षेत्र के विकास की बात करता हूं, तो इसे ओड़िया अस्मिता पर हमला क्यों कहा जाता है?