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यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल होगी पुरी रथयात्रा

  • श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने की प्रक्रिया शुरू

  • नामांकन डोजियर किया जा रहा है तैयार

पुरी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने विश्वप्रसिद्ध पुरी रथयात्रा को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का दर्जा दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह ऐतिहासिक रथयात्रा हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है और भारत की समृद्ध सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं का जीवंत प्रतीक है।
आधिकारिक रिपोर्टों के अनुसार, एसजेटीए नामांकन डोजियर तैयार कर रहा है, जिसे जल्द ही प्रस्तुत किया जाएगा। हाल ही में एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों से इस विषय पर चर्चा की थी और उनके समर्थन का अनुरोध किया। सूत्रों के अनुसार, चर्चा सकारात्मक रही और संबंधित प्राधिकरण इस दिशा में शीघ्र कदम उठा सकते हैं।
पुरी रथयात्रा का महत्व
पुरी रथयात्रा भगवान श्री जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के वार्षिक नगर भ्रमण का पर्व है। इस अनूठी परंपरा में भगवान स्वयं अपने भक्तों के दर्शन के लिए मंदिर से बाहर आते हैं। इस अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु जगन्नाथ धाम पहुंचते हैं।
अन्य भारतीय परंपराएं जो यूनेस्को सूची में शामिल हुईं
इससे पहले, कोलकाता दुर्गा पूजा और कुंभ मेला जैसे भारतीय सांस्कृतिक आयोजनों को यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में स्थान मिला है। एसजेटीए को उम्मीद है कि पुरी रथयात्रा को भी यह सम्मान मिलने से इसकी ऐतिहासिक विरासत को वैश्विक पहचान मिलेगी।

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