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विधायक बद्री नारायण पात्र ने खनन अनियमितताओं पर जताई चिंता

  •  कहा-अगर राजा चक्र भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उनकी संपत्ति उनकी आय से अधिक पाई जाती है, तो यह छापा पूरी तरह सही

  •  राजा के चाचा हैं विधायक बद्री नारायण पात्र

भुवनेश्वर। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा बीजद नेता राजा चक्र के ठिकानों पर छापेमारी के बीच घाटगांव विधायक बद्री नारायण पात्र ने खनन क्षेत्र में संभावित अनियमितताओं को लेकर गंभीर चिंता जताई है। यह जांच केन्दुझर गंधमार्दन लोडिंग एजेंसी और ट्रांसपोर्ट कोऑपरेटिव सोसायटी से जुड़े करोड़ों रुपये के घोटाले पर केंद्रित है।
विधायक बद्री नारायण पात्र, जो राजा चक्र के चाचा हैं, ने आरोप लगाया कि खनन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। उन्होंने कहा कि केन्दुझर के प्राकृतिक संसाधनों की लूट को लेकर कई बार मीडिया रिपोर्ट आई थीं। जनता की आवाज सरकार तक पहुंची और सत्ता परिवर्तन के बाद अब छापेमारी हो रही है। अगर राजा चक्र भ्रष्टाचार में लिप्त हैं और उनकी संपत्ति उनकी आय से अधिक पाई जाती है, तो यह छापा पूरी तरह सही है।
राजा और पात्र के बीच तनाव
यह चर्चा है कि राजा चक्र पहले बद्री नारायण पात्र के करीबी थे और उनके ही प्रभाव में काम कर रहे थे। हालांकि, 2017 में टिकट विवाद के बाद दोनों के बीच मतभेद उभर आए, जो अब और बढ़ गए हैं।
क्या है घोटाले की पृष्ठभूमि?
गंधमार्दन लोडिंग और ट्रांसपोर्ट कोऑपरेटिव सोसायटी वर्ष 2006 में पंजीकृत हुई थी, जिसका उद्देश्य केन्दुझर जिले में लौह अयस्क की लोडिंग का संचालन करना था। आरोप है कि 2017 से 2024 के बीच इस सोसायटी के जरिए 35 करोड़ रुपये का वित्तीय घोटाला किया गया।
इस घोटाले में राजा चक्र समेत प्रभावशाली बाहरी व्यक्तियों पर आरोप है कि उन्होंने नकली श्रम लागत दस्तावेज, फर्जी पीएफ कटौती और विकास खर्च के जाली रिकॉर्ड तैयार कर धन की हेराफेरी की।
ईओडब्ल्यू की जांच में बड़े खुलासे
ईओडब्ल्यू ने केन्दुझर, सुंदरगढ़, संबलपुर और गंजाम जिलों में लगातार छापेमारी की है, जिसमें अब तक
२०० बेनामी खाते, २० वाहन (जिसमें 25 लाख रुपये की हार्ले डेविडसन बाइक शामिल), १८-व्हीलर ट्रक, फर्जी दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
पूछताछ के दौरान राजा चक्र की प्रमुख भूमिका उजागर हुई, जिसमें उन्होंने कोऑपरेटिव सोसायटी के संचालन पर एकाधिकार स्थापित किया था।
ऐसे हुआ घोटाला
आरोप है कि आयरन ओर लोडिंग दर को 60 रुपये प्रति टन के हिसाब से हर महीने 5 लाख से 10 लाख टन के बीच लेन-देन किया गया। 5000 फर्जी मजदूरों के नाम पर फर्जी रिकॉर्ड बनाए गए और मजदूरों के लिए निर्धारित फंड को शेल कंपनियों के जरिए हड़प लिया गया।
ईडी और आयकर विभाग से जांच की मांग
जब्त दस्तावेजों की फॉरेंसिक ऑडिट की जा रही है। इस बीच, कोऑपरेटिव सोसायटी के सदस्यों ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग से भी इस घोटाले की विस्तृत जांच की मांग की है।

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