भुवनेश्वर। बीजू जनता दल ने ओडिशा सरकार द्वारा पंचायतीराज दिवस को 5 मार्च से बदलकर 24 अप्रैल करने के फैसले के खिलाफ 6 मार्च को राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। इस फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है, जिसमें बीजद ने भाजपा-नेतृत्व वाली सरकार पर पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की विरासत को कमजोर करने का आरोप लगाया है।
एक प्रेस कांफ्रेंस में बीजद नेता संजय दासवर्मा ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पंचायतीराज दिवस पिछले तीन दशकों से बीजू पटनायक की जयंती 5 मार्च को मनाया जा रहा है, ताकि उनके पंचायतिराज प्रणाली में योगदान को सम्मानित किया जा सके। भाजपा सरकार का यह फैसला तारीख को 24 अप्रैल तक बदलने का, उनके योगदान का अपमान और असंवैधानिक कदम है।
दासवर्मा ने बीजू पटनायक की पंचायतीराज प्रणाली को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनकी वकालत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बीजू बाबू भारत में पहले नेता थे, जिन्होंने पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित किया। उनका मानना था कि विकास महिलाओं को सशक्त बनाए बिना और उन्हें स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने में शामिल किए बिना संभव नहीं है।
बीजद नेता ने ओडिशा की जनता, खासकर युवाओं, छात्रों और महिलाओं से 6 मार्च को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान किया।
एक प्रेस कांफ्रेंस में बीजद नेता संजय दासवर्मा ने इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पंचायतीराज दिवस पिछले तीन दशकों से बीजू पटनायक की जयंती 5 मार्च को मनाया जा रहा है, ताकि उनके पंचायतिराज प्रणाली में योगदान को सम्मानित किया जा सके। भाजपा सरकार का यह फैसला तारीख को 24 अप्रैल तक बदलने का, उनके योगदान का अपमान और असंवैधानिक कदम है।
दासवर्मा ने बीजू पटनायक की पंचायतीराज प्रणाली को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए उनकी वकालत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बीजू बाबू भारत में पहले नेता थे, जिन्होंने पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित किया। उनका मानना था कि विकास महिलाओं को सशक्त बनाए बिना और उन्हें स्थानीय स्तर पर निर्णय लेने में शामिल किए बिना संभव नहीं है।
बीजद नेता ने ओडिशा की जनता, खासकर युवाओं, छात्रों और महिलाओं से 6 मार्च को विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान किया।