-
कहा-24 अप्रैल को देश में पंचायती राज व्यवस्था को संविधान से हुआ मान्यता प्राप्त
-
बीजद पर लगाया इस ऐतिहासिक दिन को भूलने का लगाया आरोप
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार द्वारा 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने के फैसले पर बीजेडी के विरोध को लेकर बीजेपी प्रवक्ता अनिल विश्वाल ने आश्चर्य व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बीजद इस फैसले का क्यों विरोध कर रही है वह समझ से परे हैं।
बीजद द्वारा इस मामले को लेकर विरोध किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विश्वाल ने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय स्वागत योग्य है, क्योंकि 24 अप्रैल को देश में पंचायती राज व्यवस्था को संविधान से मान्यता प्राप्त हुई थी। इस दिन को मनाना भारतीय लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन 73वां संविधान संशोधन लागू किया गया था, जिससे पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा मिला। इसके बाद लाखों ग्रामीण प्रतिनिधियों को लोकतंत्र में भाग लेने का अवसर मिला है।
उन्होंने आगे कहा कि जबकि पूरे देश में 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जा रहा है, ओडिशा सरकार भी इसे मनाने जा रही है। बीजेडी को आखिर क्यों इस तारीख पर आपत्ति है और क्यों वे इसका विरोध कर रहे हैं? बीजेडी अपनी राजनीतिक स्वार्थों में बाधा के चलते इस ऐतिहासिक दिन को भूल गई थी।
विश्वाल ने यह भी कहा कि ओडिशा सरकार ने पहले ही 5 मार्च को पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक की जयंती को सरकारी स्तर पर बड़े धूमधाम से मनाने का ऐलान किया है, इसलिए इस मुद्दे पर किसी प्रकार का विवाद नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ओडिशा के कई पूर्व मुख्यमंत्री जैसे उत्कल केशरी हरेकृष्ण महताब, जानकी बल्लभ पटनायक और नवकृष्ण चौधरी की जयंती सरकारी स्तर पर मनाई जाती है, इसी तरह बीजू बाबू की जयंती भी मनायी जाएगी। बीजेडी के सरकार के समय अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों के सम्मान को कम किया गया था। बीजेडी को इसका जवाब देना चाहिए।
विश्वाल ने यह भी सवाल उठाया कि क्या बीजेडी केवल अपनी पार्टी के हितों के लिए बीजू पटनायक को सीमित कर देना चाहती है, जबकि वे पूरे ओडिशा के नेता थे। यह बीजद का अदूरदृष्टिता का प्रमाण है।