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हॉस्टलों में बढ़ते लव, सेक्स और आत्महत्या के मामले: खतरे की घंटी

हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
हाल के दिनों में ओडिशा के जाजपुर और मालकानगिरि के चित्रकोंडा में घटी घटनाओं ने शैक्षणिक संस्थानों में सुरक्षा, अनुशासन और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जाजपुर में दसवीं कक्षा की एक छात्रा ने बच्ची को जन्म दिया, जबकि चित्रकोंडा के एक आवासीय स्कूल की छात्रा ने भी छात्रावास में बच्ची को जन्म देकर पूरे राज्य को चौंका दिया। इन घटनाओं ने न केवल छात्रावासों में हो रही गतिविधियों पर ध्यान खींचा है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि कैसे लव, सेक्स और मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या जैसी घटनाएं भी बढ़ रही हैं।

चित्रकोंडा और जाजपुर की घटनाएं
मालकानगिरि के चित्रकोंडा इलाके में स्थित एक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग द्वारा संचालित आवासीय स्कूल की छात्रा ने परीक्षा के दौरान छात्रावास में बच्ची को जन्म दिया। इस घटना से प्रशासन सकते में आ गया और तुरंत जांच शुरू कर दी गई। मामले में मुख्य आरोपी सुषांत खिल को गिरफ्तार किया गया है। इसके अलावा, स्कूल के प्रधानाध्यापक, छात्रावास की मेट्रन और सहायक नर्सिंग मिडवाइफ (ANM) को निलंबित कर दिया गया है।
दूसरी ओर, जाजपुर जिले में भी दसवीं की छात्रा ने बच्ची को जन्म दिया, जिससे छात्रावासों में सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उठी हैं। जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की घटनाएं
देशभर में उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। हाल ही में IIT, IIM और मेडिकल कॉलेजों में भी आत्महत्या के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें मानसिक तनाव, पढ़ाई का दबाव, प्रेम-प्रसंग और पारिवारिक दवाब मुख्य कारण माने जा रहे हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष 13,000 से अधिक छात्र-छात्राएं आत्महत्या करते हैं। इनमें से 24% मामले अवसाद और मानसिक दबाव के कारण होते हैं।
#राज्यवार छात्र आत्महत्या के आंकड़े (2023)
– महाराष्ट्र – 1,834
– मध्य प्रदेश – 1,308
– तमिलनाडु – 976
– कर्नाटक – 941
– ओडिशा – 524
– तेलंगाना – 517
– उत्तर प्रदेश – 489
समस्या के मुख्य कारण
1. शैक्षणिक दबाव – छात्रों पर पढ़ाई और परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने का अत्यधिक दबाव होता है।
2. प्रेम संबंध और यौन गतिविधियां – किशोरावस्था में जागरूकता की कमी के कारण छात्र गलत कदम उठा लेते हैं।
3. अकेलापन और मानसिक तनाव – छात्रावासों में रह रहे छात्रों को पर्याप्त मानसिक सहयोग नहीं मिल पाता।
4. परिवार और समाज का दबाव – माता-पिता की उम्मीदों और समाज के दबाव के कारण छात्र मानसिक रूप से असहज महसूस करते हैं।
5. कुप्रबंधन और सुरक्षा की कमी – छात्रावासों में उचित निगरानी न होने से अनुशासनहीनता बढ़ रही है।
समाधान और रोकथाम के उपाय
1. मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान – हर स्कूल और कॉलेज में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
2. सुरक्षा कड़ी की जाए – छात्रावासों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं और सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए।
3. यौन शिक्षा और नैतिक शिक्षा – स्कूल स्तर पर ही छात्रों को उचित यौन शिक्षा और नैतिकता का पाठ पढ़ाया जाए।
4. समाज और परिवार का सहयोग – माता-पिता को बच्चों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उन पर जरूरत से ज्यादा दबाव नहीं डालना चाहिए।
5. गंभीर मामलों की तुरंत जांच – छात्रावासों में अगर कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आती है, तो प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
चित्रकोंडा और जाजपुर की घटनाएं महज कुछ उदाहरण
चित्रकोंडा और जाजपुर की घटनाएं महज कुछ उदाहरण हैं, लेकिन ये इस ओर इशारा कर रही हैं कि देशभर में छात्रावासों में अनुशासन और सुरक्षा को लेकर गंभीर सुधार की जरूरत है। साथ ही, उच्च शिक्षण संस्थानों में आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए सरकार और समाज को मिलकर मानसिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा। यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले समय में स्थिति और भयावह हो सकती है।

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