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ओडिशा सरकार ने किया भवन नियमों में संशोधन

  • व्यापार सुगमता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया कदम

  • औद्योगिक निवेश होगा आकर्षित और व्यापारिक गतिविधियों होंगी सुगम

  • रीयल एस्टेट और एमएसएमई को भी इसका लाभ मिलेगा

  • अब फ्लैट की कीमतों में आएगी कमी

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने औद्योगिक निवेश को आकर्षित करने और व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए ओडिशा टाउन प्लानिंग एंड इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (2021) और ओडिशा डेवलपमेंट अथॉरिटीज (2020) के भवन मानकों के नियमों में महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं। रीयल एस्टेट और एमएसएमई को भी इसका लाभ मिलेगा और उम्मीद है कि अब फ्लैट की कीमतों में कमी आएगी।
इन संशोधनों का उद्देश्य औद्योगिकरण को गति देना, निवेश प्रक्रिया को सरल बनाना और भूमि उपयोग में अधिकतम सुधार लाना है।
बताया गया है कि राज्य सरकार ने यह संशोधन व्यापारिक और औद्योगिक संस्थानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए किया है। पिछले नियमों में कई प्रकार की पार्किंग, सेटबैक और भूमि उपयोग से जुड़ी पाबंदियां थीं, जो कारोबारियों के लिए निवेश को कठिन बनाती थीं, लेकिन इस संशोधन औद्योगिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए भूमि उपयोग में बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही भवन निर्माण मानकों में सुधार कर निवेश प्रक्रिया सरल होगी, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के विस्तार को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके साथ ही राज्य में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा और व्यावसायिक स्थलों और औद्योगिक परिसरों के लिए उच्च भूमि दक्षता सुनिश्चित होगी।
औद्योगिक इकाइयों को भूमि उपयोग में वृद्धि
संशोधित नियमों के तहत औद्योगिक इकाइयों को अपनी जमीन का 70% से अधिक उपयोग करने की अनुमति दी गई है। पहले, भूमि उपयोग में कई तरह की प्रतिबंधात्मक शर्तें थीं, जिनके कारण औद्योगिक इकाइयां अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पाती थीं। अब औद्योगिक इकाइयों को अधिक कारखाने, गोदाम और कार्यालय परिसर विकसित करने का अवसर मिलेगा। इस सुधार से उद्योगों की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, जिससे वे कम भूमि पर अधिक कार्य कर सकेंगे। इससे राज्य में बड़े और छोटे उद्योगों को समान रूप से लाभ मिलेगा।
फ्लोर एरिया रेशियो में बढ़ोतरी
एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) किसी भूमि पर बनाई जाने वाली कुल इमारत क्षेत्रफल का अनुपात दर्शाता है। संशोधन के तहत आईटी और टेक्नोलॉजी सेक्टर के लिए एफएआर में वृद्धि की गई है, जिससे वे कम मंजिलों में अधिक उपयोगी जगह बना सकेंगे। 18 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़कों पर स्थित वाणिज्यिक संरचनाओं को 5.00 का आधार एफएआर दिया गया है। इसका मतलब है कि उद्योगपति और बिल्डर अब पहले से अधिक क्षेत्रफल में निर्माण कर सकते हैं, जिससे उनका खर्च कम होगा और उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।
पार्किंग और सेटबैक नियमों में छूट
नए संशोधन के अनुसार औद्योगिक भवनों के लिए 15 मीटर ऊंचाई तक सेटबैक मानकीकृत किया गया है, यानी अब कम जमीन में अधिक निर्माण संभव होगा। अधिक ऊंचाई वाले भवनों के लिए सेटबैक आवश्यकताएं अब अनुपातिक रूप से बढ़ेंगी, जिससे भूमि का बेहतर उपयोग संभव होगा। पहले के नियमों के कारण कई उद्योगों को बड़ी मात्रा में जगह पार्किंग के लिए छोड़नी पड़ती थी, जिससे उनके लिए उपलब्ध उपयोगी भूमि कम हो जाती थी। संशोधन के बाद उद्योगों को पार्किंग के लिए अधिक स्वतंत्रता मिलेगी और उन्हें अपनी आवश्यकताओं के अनुसार योजना बनाने की सुविधा मिलेगी।
टीडीआर की अनिवार्यता समाप्त
पहले, उद्योगों को अतिरिक्त एफएआर प्राप्त करने के लिए ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) प्रमाणपत्र लेना जरूरी था। यह प्रक्रिया लंबी और जटिल थी, जिससे कारोबारियों को कई तरह की विलंब और कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ता था।
अब औद्योगिक भवनों को अतिरिक्त एफएआर के लिए टीडीआर प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं होगी। यह नियम ब्यूरोक्रेटिक बाधाओं को कम करेगा और परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने में मदद करेगा। इससे निवेश की प्रक्रिया सरल और तेज होगी।
एमएसएमई को मिलेगा फायदा
संशोधित भवन मानकों से एमएसएमई क्षेत्र को सीधा लाभ मिलेगा, जिससे राज्य में लघु और मध्यम उद्योगों का विस्तार होगा। भूमि उपयोग में 60% की वृद्धि से एमएसएमई को नई इकाइयां स्थापित करने और अपने कार्यक्षेत्र को बढ़ाने में मदद मिलेगी। छोटे और मध्यम उद्योग अब कम जमीन पर अधिक उत्पादन कर सकेंगे, जिससे उनके लागत खर्च में कमी आएगी। इससे नए रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। एमएसएमई को कम लागत में अधिक भूमि उपलब्ध कराना सरकार का प्रमुख उद्देश्य है, जिससे नए स्टार्टअप और निवेशकों को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से मेल
ओडिशा सरकार के ये संशोधन आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 की सिफारिशों के अनुरूप हैं। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया था कि पुराने नियमों के कारण राज्य में प्रति कारखाना अधिक भूमि हानि हो रही थी। आउटडेटेड बिल्डिंग नियमों के चलते औद्योगिक विकास में बाधा आ रही थी। अब संशोधित भवन मानकों से राज्य में औद्योगिक भूमि के अधिकतम उपयोग को बढ़ावा मिलेगा। इससे राज्य में निवेश को आकर्षित करने और नए व्यापारिक अवसर पैदा करने की संभावनाएं बढ़ेंगी।
ओडिशा को औद्योगिक निवेश हब बनाने की रणनीति
राज्य सरकार का उद्देश्य ओडिशा को एक आधुनिक औद्योगिक हब बनाना है। नई भवन नीतियों से राज्य में उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा। सरकार निवेशकों और स्टार्टअप कंपनियों के लिए बाधाओं को कम कर रही है, ताकि वे तेजी से अपना कारोबार शुरू कर सकें। ओडिशा सरकार इन संशोधनों के जरिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करने की योजना बना रही है।

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