भुवनेश्वर। सनातनी परंपरा के अनुसार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेले के संगम स्थल से संकलित अमृत जल महाशिवरात्रि के दिन सुबह 8 बजे से 11 बजे तक भुवनेश्वर के लिंगराज मंदिर के उत्तर द्वार पर आमजन को वितरित किया जाएगा। इस पुनीत कार्य का संकल्प डॉ. सुनीति मुंड ने लिया है।
डॉ. मुंड हाल ही में प्रयागराज से कल्पवास करके लौटी हैं। उन्होंने बताया कि वे गंगा से भक्ति, यमुना से कर्म और सरस्वती से ज्ञान लेकर वापस आई हैं। करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास के संगम स्थल से अनेक आध्यात्मिक अनुभवों के साथ वे पुनः जनसेवा में संलग्न हो गई हैं। प्रयागराज जाने से पहले सुनीति ने भुवनेश्वर के विभिन्न वार्डों में घर-घर जाकर घी संग्रह किया था, जिससे उन्होंने मां गंगा की आरती करने के साथ ही महाकुंभ के यज्ञकुंड में ओडिशावासियों की मंगलकामना हेतु शांतियज्ञ आहुति दी थी।
कल्पवास जैसी कठिन जीवनचर्या को सहजता से अपनाते हुए उन्होंने सनातन परंपरा को सम्मान दिया। त्रिवेणी में डुबकी लगाने की आध्यात्मिक मान्यता के साथ ग्रह-नक्षत्रों की गणना और स्थिति का महत्व भी जुड़ा हुआ है। इसी क्रम में हर छह साल में अर्धकुंभ, बारह साल में पूर्ण कुंभ और 144 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है।
डॉ. सुनीति ने बताया कि लिंगराज मंदिर में जल वितरण के बाद वे भुवनेश्वर के विभिन्न वृद्धाश्रमों, अनाथालयों और जेल में कैदियों के बीच पुण्य जल वितरित करेंगी। उनका मानना है कि जो लोग संगम स्थल नहीं जा पाए, उनके लिए उनके स्थान पर ही यह सुविधा उपलब्ध कराना उनका प्रयास है। उनके इस कार्य की आम जनता ने सराहना की है और उन्हें व्यापक जनसमर्थन मिल रहा है।