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गर्मी से पहले वनाग्नि से निपटने के लिए वन विभाग की विशेष तैयारी

भुवनेश्वर। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है और गर्मी नजदीक आ रही है, ओडिशा के वन विभाग ने जंगलों में आग लगने की संभावनाओं को देखते हुए विशेष कदम उठाए हैं। खासकर कोरापुट क्षेत्र के लिए, जो अपने घने और समृद्ध जंगलों के लिए प्रसिद्ध है, हर साल आग की घटनाओं का सामना करता है। इनमें से कई आग जानबूझकर या कृषि गतिविधियों के कारण लगती हैं।
इस चुनौती से निपटने के लिए वन विभाग ने एक अभिनव रणनीति अपनाई है। जंगलों में उच्च बांस से निर्मित वॉचटावर बनाए गए हैं, जिनमें अग्निशमन उपकरण भी उपलब्ध कराए गए हैं। इन टावरों से वन रक्षक दूर तक धुआं देख सकते हैं और आग लगते ही त्वरित कार्रवाई कर सकते हैं।
वर्तमान में नारायणपाटणा, बांधुगांव, लमतापुट, लक्ष्मीपुर और सिमिलिगुड़ा सहित छह रेंजों में 60 वॉचटावर स्थापित किए गए हैं। इन टावरों पर वन रक्षकों के साथ स्थानीय स्वयंसेवकों की टीम भी तैनात की गई है, जिससे सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। कोरापुट के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) के अनुसार, इस पहल से एक वन रक्षक 500 हेक्टेयर तक के जंगल की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता अभियान
इस योजना की सफलता के लिए स्थानीय समुदायों की भागीदारी को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वन विभाग नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से ग्रामीणों को वनाग्नि के खतरों और उससे बचाव के उपायों के प्रति जागरूक कर रहा है। इसके अलावा, स्थानीय प्रशासन और वन कर्मियों के साथ लगातार बैठकें की जा रही हैं ताकि आग से निपटने की तैयारी सुनिश्चित की जा सके।
वन विभाग स्थानीय लोगों को भी प्रोत्साहित कर रहा है कि वे जंगलों में जानबूझकर आग लगाने वालों की पहचान करें और उनकी जानकारी विभाग को दें। आगजनी को रोकने के लिए कड़े निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।
2-3 अग्निशमन दल के सदस्य तैनात
वन अधिकारी गौतम बेनेया ने बताया कि प्रत्येक अग्नि रोकथाम टावर पर कम से कम 2-3 अग्निशमन दल के सदस्य तैनात किए गए हैं। वे यहां रहकर चौकसी रखेंगे और आवश्यक उपकरणों से लैस रहेंगे। यदि कहीं धुआं उठता है, तो वे तुरंत मौके पर पहुंचकर आग बुझाएंगे।
कोरापुट के डीएफओ केवी भास्कर राव ने कहा कि बांस के वॉचटावर जंगलों के बीच में लगाए गए हैं, जिससे गश्ती दल को किसी भी स्थान से उठने वाले धुएं या आग पर नजर रखने में आसानी होगी। यदि आग विकराल होती है, तो वे अन्य दलों को भी तुरंत सूचित कर सकते हैं।
वन विभाग और समुदाय के संयुक्त प्रयासों से इस बार जंगलों में आग की घटनाओं को रोकने की पूरी तैयारी कर ली गई है, जिससे ओडिशा के कीमती जंगलों को संरक्षित रखा जा सके।

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