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कांग्रेस भवन में रणनीतिक चर्चा
भुवनेश्वर। हाल ही में दक्षिण ओडिशा में मिली चुनावी सफलता से उत्साहित कांग्रेस पार्टी अब अपनी रणनीति को पूरे राज्य में लागू करने की तैयारी में है। 2024 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने दक्षिण ओडिशा की 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जो पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही।
ओडिशा कांग्रेस भवन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक आयोजित हुई, जिसमें प्रदेश प्रभारी अजय कुमार लल्लू, सांसद सप्तगिरि उल्का, कांग्रेस विधायक दल के नेता रामचंद्र कदम समेत अन्य प्रमुख नेता शामिल हुए। बैठक में पार्टी की सफल रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई।
सांसद सप्तगिरि उल्का ने कहा कि अब समय आ गया है कि नई प्रदेश कांग्रेस कमेटी टीम और पदाधिकारियों के साथ मिलकर कांग्रेस को मजबूत किया जाए। पार्टी की संभावनाएं ओडिशा में अच्छी हैं। सभी नेताओं को जमीनी स्तर पर मेहनत करनी होगी, ताकि हम सरकार बनाने की स्थिति में आ सकें। हमारा प्रयास रहेगा कि दक्षिण ओडिशा की तरह अन्य क्षेत्रों से भी अधिक से अधिक विधायक जीतकर आएं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी की पूरी टीम नए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के नेतृत्व में एकजुट होकर काम करेगी।
बैठक में जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने और मतदाताओं के प्रमुख मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने पर चर्चा हुई। यह रणनीति अब पूरे ओडिशा में लागू की जाएगी, जिससे अधिक से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की जा सके।
हालांकि, पार्टी को यह भी अहसास है कि हर क्षेत्र की स्थानीय समस्याएं अलग-अलग हैं और उन्हें ध्यान में रखते हुए रणनीति में बदलाव करने की जरूरत होगी। कांग्रेस पार्टी संगठन को मजबूत करने और मतदाताओं से सीधा संपर्क स्थापित करने पर जोर दे रही है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता रामचंद्र कदम ने कहा कि दक्षिण ओडिशा में मिली सफलता को पूरे राज्य में दोहराने का प्रयास किया जाएगा। संगठन को मजबूत करना हमारी प्राथमिकता है और 2029 के चुनावों में पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी।
गौरतलब है कि 2024 के ओडिशा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पहली बार बहुमत हासिल किया। बीजेपी ने 21 में से 20 लोकसभा सीटें (45% वोट शेयर) और 147 में से 78 विधानसभा सीटें जीतकर पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के 24 साल के शासन का अंत कर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘डबल इंजन’ सरकार के प्रचार अभियान, मेगा रैलियों और बीजद विरोधी लहर ने भाजपा की जीत में अहम भूमिका निभाई।