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भारत के सात राज्यों को कर सकता है प्रभावित
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नासा ने दी चेतावनी
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टक्कर हुआ तो हिरोशिमा परमाणु बम से कई गुना अधिक हो सकता है विनाशकारी
भुवनेश्वर। अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए एक चिंताजनक खबर सामने आई है। अमेरिकी अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था नासा के अनुसार, 2024 वाईआर4 नामक विशाल क्षुद्रग्रह (एस्टेरॉयड) वर्ष 2032 में पृथ्वी से टकरा सकता है। इस संभावित टक्कर को लेकर भारत में भी अलर्ट जारी किया गया है, क्योंकि प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार, यह एस्टेरॉयड भारत के सात राज्यों को प्रभावित कर सकता है, जिनमें ओडिशा भी शामिल है।
नासा के अनुसार, यह एस्टेरॉयड भारत के ओडिशा, महाराष्ट्र, उत्तरी तेलंगाना, दक्षिणी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और पश्चिम बंगाल से टकरा सकता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहर भी इसकी चपेट में आ सकते हैं, जिससे यह एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यदि टक्कर होती है, तो इसका प्रभाव हिरोशिमा परमाणु बम से कई गुना अधिक विनाशकारी हो सकता है।
एस्टेरॉयड का आकार और गति
2024 वाईआर4 एस्टेरॉयड का आकार 130 से 300 फीट के बीच बताया जा रहा है। यदि यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो इसकी गति 65,000 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है। इतनी तेज गति से टकराने पर इसका असर एक बड़े विस्फोट जैसा होगा।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की नजर
भले ही टकराने की संभावना मात्र 1.5% बताई जा रही है, लेकिन नासा समेत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियां इसकी गतिविधियों पर पैनी नजर रख रही हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित एस्टेरॉयड बेल्ट में कई अंतरिक्ष पिंड घूमते रहते हैं। इनमें से कई पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही जलकर नष्ट हो जाते हैं, लेकिन बड़े आकार के एस्टेरॉयड जैसे 2024 वाईआर4 सतह तक पहुंच सकते हैं, जिससे बड़ा नुकसान हो सकता है।
एस्टेरॉयड की लगातार निगरानी जारी
2024 वाईआर4 को पहली बार 27 दिसंबर 2023 को खोजा गया था। वैज्ञानिक लगातार इसकी संभावित दिशा और प्रभाव पर नजर बनाए हुए हैं, क्योंकि यह भारत के घनी आबादी वाले और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों के ऊपर से गुजर सकता है।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार इस एस्टेरॉयड के पृथ्वी से टकराने की संभावना 1 से 1.5% के बीच है। यदि यह पृथ्वी से टकराता है, तो इसके समुद्र, अमेरिका, अफ्रीका या भारत में गिरने की संभावना अधिक है। हालांकि, वैज्ञानिक 2032 से पहले इसकी सटीक दिशा का निर्धारण कर लेंगे। अगर इसके पृथ्वी से टकराने की संभावना बढ़ी, तो वैज्ञानिक इसे अंतरिक्ष में ही नष्ट करने या उसकी दिशा बदलने के उपाय करेंगे।