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सार्वजनिक कार्यों की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार ने की नये कदम की घोषणा
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परियोजना प्रबंधन होगा अधिक पारदर्शी
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कार्यों की प्रगति होगी तेज और प्रशासनिक जवाबदेही होगी सुनिश्चित
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार सार्वजनिक कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ‘वर्क पासबुक’ और ‘वर्क डैशबोर्ड’ जैसी दो नई योजनाएं शुरू करने जा रही है। राज्य के कार्य मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने शनिवार को इसकी घोषणा की। इन दोनों योजनाओं का उद्देश्य परियोजना प्रबंधन को अधिक पारदर्शी बनाना, कार्यों की प्रगति को तेज करना और प्रशासनिक जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
वर्क पासबुक के तहत प्रत्येक परियोजना की अनुमानित लागत, वर्तमान प्रगति और अन्य महत्वपूर्ण विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पहल के माध्यम से नागरिक बिना किसी प्रशासनिक कार्यालय में जाए या किसी प्रकार की पूछताछ किए, सीधे विभाग की वेबसाइट पर जाकर किसी भी परियोजना की अद्यतन जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
जहां वर्क पासबुक नागरिकों को किसी भी परियोजना की स्थिति देखने की सुविधा देगी, वहीं वर्क डैशबोर्ड राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) द्वारा क्रियान्वित सभी परियोजनाओं का डेटा एकत्र कर एक ही मंच पर उपलब्ध कराएगा।
इस डैशबोर्ड का उपयोग मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री और अधिकारी नियमित रूप से कर सकेंगे। इसके माध्यम से परियोजनाओं के पैमाने, कार्यान्वयन एजेंसियों, प्रगति की स्थिति, अनुमानित लागत, प्रारंभ तिथि और अन्य विवरणों को वास्तविक समय में देखा जा सकेगा। कुछ विभागों में यह डैशबोर्ड पहले से ही लागू किया गया है, जिसे अब अन्य विभागों तक विस्तारित किया जाएगा।
मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि किसी भी परियोजना की प्रगति को किसी भी समय देखा जा सकेगा। इसमें सभी आंकड़े विस्तृत और स्पष्ट होंगे, जिससे नियमित और त्वरित निगरानी सुनिश्चित हो सकेगी। प्रारंभ में इसे लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) में लागू किया जाएगा और बाद में इसे पंचायती राज विभाग तक विस्तारित किया जाएगा।
बताया गया है कि इन दोनों योजनाओं से सार्वजनिक कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी, समय पर परियोजनाएं पूरी होंगी और गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी। इसके साथ ही सरकारी निगरानी और जवाबदेही भी बढ़ेगी। आगे चलकर, इन बदलावों को अन्य सभी इंजीनियरिंग विभागों में भी लागू किया जाएगा।
सरकार का मानना है कि इन तकनीकी पहल के माध्यम से जनता को सही और सटीक जानकारी मिलेगी और प्रशासनिक प्रक्रियाएं अधिक प्रभावी बनेंगी। इससे न केवल परियोजनाओं की गति तेज होगी, बल्कि भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगेगा।