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रविदास जयंती के जुलूस में तिरंगे के अपमान

  • गाजीपुर के दुबिहा में एक ही डंडे पर तिरंगा के साथ लगाए गए दो अन्य झंडे

  • पुलिस की मौजूदगी में निकला जुलूस

गाजीपुर। गाजीपुर जिले के दुबिहा में रविदास जयंती के उपलक्ष में शनिवार, 15 फरवरी को निकाले गए जुलूस में भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के उल्लंघन का मामला सामने आया है। इस जुलूस में तिरंगे के साथ दो अन्य झंडों को एक ही डंडे पर लगाया गया, जो कि भारतीय संविधान और झंडा संहिता के नियमों के अनुसार सही नहीं माना जाता है। चौंकाने वाली बात यह रही कि यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ, लेकिन किसी ने इस पर आपत्ति नहीं जताई।

क्या कहता है भारतीय कानून?

भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के अनुसार:

1. तिरंगा हमेशा अकेले फहराया जाना चाहिए।

2. किसी भी अन्य झंडे को तिरंगे के साथ एक ही डंडे पर नहीं लगाया जा सकता।

3. तिरंगे को अन्य झंडों के नीचे या बराबर नहीं रखा जा सकता, बल्कि उसे सर्वोच्च स्थान पर होना चाहिए।

4. राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 के तहत तिरंगे के अनादर पर तीन साल तक की जेल, जुर्माना या दोनों की सजा का प्रावधान है।

दुबिहा में क्या हुआ?

रविदास जयंती के उपलक्ष पर दुबिहा में भक्तों ने भव्य शोभायात्रा निकाली। इसमें सैकड़ों लोग शामिल हुए और श्रद्धालुओं ने गुरु रविदास की शिक्षाओं का प्रचार किया। हालांकि, इस दौरान एक ही डंडे पर तिरंगे के साथ दो अन्य झंडे भी लगाए गए, जिससे ध्वज संहिता के नियमों का उल्लंघन हुआ।

 

मौके पर तैनात पुलिस की नहीं पड़ी नजर

सवाल यह उठता है कि पुलिस की मौजूदगी में यह नियमों का उल्लंघन कैसे हुआ? क्या प्रशासन को झंडा संहिता की जानकारी नहीं है, या फिर इस तरह की घटनाओं पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता?

पुलिस प्रशासन ने इस मामले पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि जब पुलिस खुद मौके पर मौजूद थी, तो उसने तुरंत हस्तक्षेप क्यों नहीं किया? हालांकि इस दौरान दुनिया चौकी प्रभारी भी मौके पर खुद मौजूद थे और जुलूस के पीछे-पीछे चल रहे थे।

अंबेडकर की झांकी मैं दिया गया गलत संदेश

विशेषज्ञों का कहना है कि डॉ भीमराव अंबेडकर की झांकी में इस तरह की गलती होने से गलत संदेश जाता है। डॉ अंबेडकर संविधान के निर्माता थे और उनके नाम से जुड़े किसी भी आयोजन में संवैधानिक नियमों का पालन होना चाहिए।

 

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