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चिकित्सकों के छुट्टी पर जाने से बंद हो जाते हैं विभाग
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बुनियादी सुविधाओं की कमी से मरीजों को झेलनी पड़ रही हैं परेशानियां
भुवनेश्वर। केंद्र सरकार ने जहां बजट में कैंसर डे-केयर और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने का सपना दिखाया और राज्य सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने बातें कर रही है, वहीं यूपीएचसी (अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर) की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। कई जगहों पर दवाओं की कमी की शिकायत है, तो कई जगहों पर चिकित्सकों की कमी की बात सामने आई है। आलम यह है कि चिकित्सकों के छुट्टी पर जाने से आयुष जैसे विभाग बंद हो जाते हैं।
राजधानी भुवनेश्वर के झारपड़ा यूपीएचसी (अर्बन प्राइमरी हेल्थ सेंटर) की स्थिति और चिंताजनक बनी हुई है। कहा जा रहा है कि चिकित्सकों की छुट्टी के कारण यहां कई विभागों का काम ठप हो जाता है। रक्त जांच की सुविधा महीनों से बंद है और मरीजों को साधारण जांच के लिए भी निजी लैब में रेफर किया जा रहा है।
झारपड़ा यूपीएचसी में महीनों से रक्त जांच की सुविधा बंद होने के कारण मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जांच के लिए मरीजों को बाहर की लैब में जाना पड़ता है, जहां उन्हें न केवल अधिक खर्च उठाना पड़ता है, बल्कि समय भी बर्बाद होता है, जबकि यह सेवाएं यहां के अस्पताल में फ्री में उपलब्ध होती हैं।
महिला चिकित्सकों की कमी
विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी इस स्थिति को और गंभीर बना रही है। महिला विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता के कारण महिला रोगियों को अतिरिक्त परेशानी उठानी पड़ रही है।
दवाओं की कमी और व्यवस्था पर सवाल
झारपड़ा यूपीएचसी में कफ सिरप जैसी आवश्यक दवाओं की भी कमी देखने को मिली है। चिकित्सकों का कहना है कि दवाओं की नियमित आपूर्ति नहीं होने के कारण मरीजों को बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है।
इंटर कनेक्शन पर जानकारी नहीं
राज्य सरकार जहां डिजिटल सेवाओं को प्रोत्साहित कर रही है, वहीं यूपीएचसी और कैपिटल अस्तपाल के बीच इंटर कनेक्शन को लेकर काफी बड़ा अंतर देखने को मिल रहा है। यूपीएचसी की पर्ची कैपिटल अस्पताल में काम करेगी या नहीं, इसे लेकर चिकित्सकों को भी स्पष्ट जानकारी नहीं है। जब झारपाड़ा में तैनात चिकित्सक से पूछा गया है कि क्या आपकी पर्ची पर लिखे रक्त जांच कैपिटल में करायी जा सकती है, तो उन्होंने कहा कि मुझे पता नहीं।
सरकार की घोषणाओं के बावजूद जमीनी हालात खराब
राज्य सरकार द्वारा बजट में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने और कैंसर डे-केयर की सुविधा देने की बात कही गई है, लेकिन जमीनी स्तर पर यूपीएचसी और पीएचसी की दुर्दशा यह दर्शाती है कि स्वास्थ्य व्यवस्था में गंभीर खामियां हैं। लोगों का कहना है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेष रूप से महिला विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति अनिवार्य रूप से होनी चाहिए। साथ ही, रक्त जांच जैसी बुनियादी सेवाओं को तत्काल पुनः शुरू किया जाना चाहिए।
मरीजों और स्थानीय लोगों ने सरकार से मांग की है कि यूपीएचसी और पीएचसी की सेवाओं को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि स्वास्थ्य सेवाएं आम लोगों के लिए सुलभ और प्रभावी हो सकें।