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राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस थमाया
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एक निजी कंपनी के मामले में चार सप्ताह में रिपोर्ट तलब
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ट्रिब्यूनल ने एक तथ्य-जांच समिति का किया गठन
भुवनेश्वर। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ओडिशा सरकार, ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) और अन्य को पर्यावरण प्रदूषण के आरोपों पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी की है। यह मामला एक निजी कंपनी से जुड़ा है, जो विभिन्न स्टेनलेस स्टील उत्पादों के निर्माण में संलग्न है।
एनजीटी ने यह आदेश ढेंकानाल जिले के हरिहर सामल और अनुगूल जिले के राजीव गोपाल स्वाईं द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया।
प्राधिकरणों को आदेश प्राप्त होने के चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।
इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने एक तथ्य-जांच समिति का गठन किया है जिसमें पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और ओडिशा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (ओएसपीसीबी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक शामिल होंगे। ढेंकानाल के जिला कलेक्टर या उनके प्रतिनिधि, जो अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट से कम रैंक के नहीं होंगे, भी इस समिति का हिस्सा होंगे।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि कंपनी की निर्माण यूनिट ढेंकानाल में वायु प्रदूषण फैला रही है और बिना उपचारित जल को किसिंधा नाले में बहा रहा है, जो संचालन की अनुमति की शर्तों और सीपीसीबी के दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि इस स्टील संयंत्र को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से 31 मार्च 2023 को संचालन की अनुमति मिली थी। आरोप है कि संयंत्र उचित तरीके से अपशिष्ट जल का संग्रह और उपचार नहीं कर रहा है और सीधे किसिंधा नाले में इसे बहा रहा है। संयंत्र के ठोस कचरे को यूनिट परिसर के बाहर और सड़क किनारे फेंकने के भी आरोप हैं, जिससे कुरुंती गांव के निवासियों को असुविधा हो रही है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि यूनिट ने केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के केंद्रीकृत सर्वर से स्टैक उत्सर्जन और अपशिष्ट जल डिस्चार्ज की ऑनलाइन निगरानी प्रणाली सक्रिय नहीं की है। इसके अलावा, यूनिट ने खतरनाक कचरा प्रबंधन और हैंडलिंग नियमों के तहत आवश्यक प्राधिकरण भी प्राप्त नहीं किया है।
याचिकाकर्ता के वकील शंकर पाणि ने सोमवार को मीडिया को दिये गये बयान में बताया है कि कंपनी ने वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम 2023 के निर्देशों का उल्लंघन कर अवैध रूप से वन भूमि का अधिग्रहण किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि यूनिट ने केवल दो परिवेशी वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशन (एएक्यूएमएस) स्थापित किए हैं, जबकि चार अनिवार्य हैं। आरोप है कि जो दो स्टेशन स्थापित किए गए हैं वे भी संचालन में नहीं हैं। कंपनी पर किसिंधा नाले से बिना आवश्यक अनुमति के अवैध रूप से पानी निकालने का भी आरोप है।