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राज्य में मौजूद व्यापक जल निकाय और जलाशयों का होगा उपयोग
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने स्वच्छ ऊर्जा विकल्पों को अपनाने, ऊर्जा क्षेत्र के डीकार्बनाइजेशन और फ्लोटिंग सोलर फोटोवोल्टिक (पीवी) प्रणाली जैसी स्वच्छ ऊर्जा पहलों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा अक्षय ऊर्जा नीति, 2022 (ओआरईपी 2022) लागू की है।
इस नीति के तहत राज्य सरकार ने जलाशयों और जल निकायों पर फ्लोटिंग सोलर फोटोवोल्टिक परियोजनाओं को लागू करने के लिए संचालनात्मक दिशानिर्देश जारी किया है।
बताया गया है कि ओडिशा में साल भर लगभग धूप वाले 300 दिन प्राप्त होते हैं, जिससे यहां सौर ऊर्जा की प्रचुर संभावनाएं हैं। इससे राज्य स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य हासिल करने और जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता कम करने में सक्षम होगा।
राज्य में व्यापक जल निकाय और अनेक जलाशय मौजूद हैं, जिनका उपयोग बड़े पैमाने पर फ्लोटिंग सोलर परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है। पहले चरण में राज्य ने 5,000 मेगावाट क्षमता की फ्लोटिंग सोलर परियोजनाओं की संभाव्यता रिपोर्ट (पीईआर) तैयार की है।
परियोजनाओं के विकास की रूपरेखा
ओडिशा सरकार इस नीति के माध्यम से फ्लोटिंग सोलर परियोजनाओं के विकास को प्रोत्साहित करना चाहती है। नोडल एजेंसी जल संसाधन विभाग के साथ समन्वय कर उपयुक्त स्थलों की पहचान करेगी।
जल संसाधन विभाग प्रशासनिक नियंत्रण वाले जल निकायों पर नाममात्र वार्षिक लीज रेंट या अग्रिम भुगतान पर फ्लोटिंग सोलर परियोजनाओं के विकास की अनुमति देगा। उद्योगों को भी अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए फ्लोटिंग सोलर संयंत्र लगाने की अनुमति दी जाएगी।
फ्लोटिंग सोलर परियोजनाओं के फायदे
• उच्च क्षमता उपयोग: ग्राउंड माउंटेड सोलर की तुलना में अधिक उत्पादन क्षमता।
• स्थान की कुशलता: जमीन की आवश्यकता नहीं।
• जल संरक्षण: पानी के वाष्पीकरण में कमी।
• शैवाल वृद्धि में कमी
• कम संचालन और रखरखाव लागत
• जलीय जीवन पर कम प्रभाव
• बेहतर सुरक्षा और टिकाऊपन
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