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माघ सप्तमी पर चंद्रभागा समुद्र तट पर पवित्र स्नान को उमड़ी भीड़

  • सूर्य देवता के जन्म उत्सव मनाते हैं श्रद्धालु

भुवनेश्वर। पुरी जिले के कोणार्क स्थित चंद्रभागा समुद्र तट पर हजारों भक्तों ने माघ सप्तमी के अवसर पर पवित्र स्नान किया और सूर्य देवता की पूजा अर्चना की।
हर साल जब सूर्य उत्तरायण होते हैं, तीर्थयात्री माघ शुक्ल सप्तमी के दिन सूर्य देवता के जन्म उत्सव को मनाने के लिए कोणार्क आते हैं। भक्त सूर्योदय से पहले चंद्रभागा नदी और पास के समुद्र में स्नान करने के लिए इकट्ठा होते हैं, ताकि वे सूर्य के पहले किरणों का दर्शन कर सकें।
सूर्य देवता की पूजा के अतिरिक्त, भक्त महादेव की भी पूजा करते हैं, जो ‘माघ मेला’ उत्सव को एक विशेष रूप देता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु आने के कारण प्रशासन द्वारा इसके लिए ट्रैफिक से लेकर सुरक्षा के व्यवस्था किये गये थे।
सूर्य मंदिर में नवग्रह की पूजा-अर्चना
पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालु कोणार्क के त्रिवेणिश्वर सूर्य मंदिर परिसर स्थित नवग्रह की पूजा-अर्चना करते हैं। यहां भक्तों की भीड़ सुबह से देखने को मिली। त्रिमहादेव का प्रतिनिधित्व माधिपुर गांव के त्रिवेणीश्वर, संतपुर गांव के तशनेश्वर और पुरी जिले के कुरुजांग गांव के दक्षिणेश्वर करते हैं। इन मूर्तियों को पालकियों में रखकर आधी रात को शोभायात्रा निकाली गई और फिर कोणार्क मंदिर में इनकी पूजा-अर्चना की गई।
पवित्र स्नान तड़के 4.37 बजे शुरू
चंद्रभागा नदी और बंगाल की खाड़ी के संगम पर आज पवित्र स्नान तड़के 4.37 बजे शुरू हुआ। सबसे पहले साधु-संतों को स्नान का अवसर दिया गया। हालांकि अब नदी अस्तित्व में नहीं है, इसलिए संगम स्थल पर एक कृत्रिम जलाशय बनाया गया है, जहां श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई।
चर्म रोगों से मुक्ति और पापों का होता है नाश
मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से श्रद्धालुओं को चर्म रोगों से मुक्ति मिलती है और पापों का नाश होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण के पुत्र शांबा को कुष्ठ रोग था और उन्होंने चंद्रभागा नदी में स्नान कर कोणार्क के अरका क्षेत्र में 12 दिनों तक सूर्य देव की आराधना की, जिससे वह रोगमुक्त हो गए। श्रद्धालु पौराणिक दानव अरकासुर को पके हुए चावल, सूखी मछली (सुखुआ) और दालमा अर्पित करते हैं। कोणार्क क्षेत्र का नाम इसी दानव के नाम पर ‘अरका क्षेत्र’ पड़ा। मान्यता है कि सूर्य देव ने अरकासुर का वध किया था।
लगभग विलुप्त हो चुकी है चंद्रभागा नदी
हालांकि चंद्रभागा नदी लगभग विलुप्त हो चुकी है, लेकिन उसके तट का एक हिस्सा खुदाई कर तालाब में परिवर्तित किया गया है, जहां श्रद्धालु इस विशेष अवसर पर स्नान करते हैं।
व्यापक प्रबंध किए गए थे समुद्र तट पर
पुरी जिला प्रशासन ने चंद्रभागा समुद्र तट पर उत्सव के लिए व्यापक प्रबंध किया था। पुरी के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक खुद मौके पर उपस्थित रहकर व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, माघ सप्तमी के पवित्र स्नान के सफल आयोजन के लिए पुलिस की 33 प्लाटून (एक प्लाटून में 30 कर्मी होते हैं) तैनात की गई। उन्होंने बताया कि समुद्र तट पर किसी अप्रिय घटना को रोकने के लिए 20 लाइफगार्ड को वहां तैनात किया गया था और यातायात प्रबंधन के भी समुचित इंतजाम किए गए थे। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पांच अस्थायी शिविर स्थापित किए गए थे और दो एंबुलेंस स्टैंडबाय पर रखी गई थीं। मेले में सुरक्षा के लिए दो अग्निशमन वाहन और निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए तीन जनरेटर भी लगाए गए थे।

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