भुवनेश्वर। 18वीं सदी की मालवा की महारानी अहिल्याबाई होलकर ने छत्रपति शिवाजी महाराज के स्वदेश प्रेम को साकार करने के लिए कार्य किया था। उन्होंने अपने राज्य और राज्य के बाहर सैकड़ों मंदिरों का पुनर्निर्माण किया और देशप्रेम का परिचय दिया। साथ ही उन्होंने ‘सति’ प्रथा को अपराध घोषित करते हुए विधवाओं को संपत्ति का अधिकार देने का निर्देश भी दिया। महिलाओं के समाज के सर्वांगीण विकास के लिए अहिल्याबाई हर समय प्रयासरत थीं। राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के ओडिशा शाखा व कटक स्थित शैलबाला महिला कालेज के ओडिया विभाग द्वारा संयुक्त रुप से अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती पर आयोजित ‘नारी प्रगति में अहिल्याबाई की भूमिका’ विषयक संवाद सत्र में विभिन्न वक्ताओं ने उपरोक्त बातें कहीं।
इस कार्यक्रम में विशिष्ट व्यक्तियों ने उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ चित्तरंजन पंडा ने की, जबकि प्रमुख अतिथि के रूप में वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रोफेसर दिनेश पटनायक और मुख्य वक्ता के रूप में कॉलेज के पूर्व अध्यक्ष डॉ चिन्मयी महापात्र ने अपनी बात रखी। विभागाध्यक्ष डॉ. संजीता मिश्रा ने अतिथियों का परिचय कराया।
तकनीकी सत्र का संचालन प्रोफेसर शिबव्रत दास ने किया, जबकि प्रोफेसर सचिंद्र राउल, डॉ. बिकली चरण दास, कृष्णचंद्र पंडा, डॉ. क्षीरोद चंद्र साहू, मिहिर रंजन कर और शिक्षक अक्षय कुमार दाश ने अहिल्याबाई के जीवन पर अपने निबंध प्रस्तुत किए।
उद्घाटन समारोह में डॉ नारायण मोहंती मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे और डॉ सरोज कुमार दास ने मुख्य वक्ता के रूप में अपनी बात रखी। शिक्षिका ज्ञानविजयिनी बेउरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। डॉ सुज्ञानिनी कुमारि साहू, डॉ नरेंद्रनाथ नायक, शिक्षिका शाश्वती लेंका और डॉ विकास कुमार महराणा ने कार्यक्रम संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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