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20-25 युवकों ने तैयार की भगदड़ मचाने की पृष्ठभूमि
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सभी के हाथ में थे लाठी-डंडे, लगा रहे थे कुछ नारा
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युवकों ने पहले शुरू की थी धक्का-मुक्की
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ओडिशा के एक बुजुर्ग प्रत्यक्षदर्शी ने रिश्तेदारों को बताया पूरा घटनाक्रम
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 साल बाद लगे महाकुंभ में भगदड़ के पीछे एक बड़ी साजिशा का खुलासा हुआ है। यदि हम ओडिशा के एक प्रत्यक्षदर्शी श्रद्धालु की बातों को मानें तो 20 से 25 युवकों के एक झुंड ने इस भगदड़ की पृष्ठभूमि तैयार की थी।
जांच प्रक्रियाओं के दौरान परेशानी न हो, इसलिए नाम और पता गुप्त रखने की शर्तों पर बुजुर्ग प्रत्यक्षदर्शी के रिश्तेदारों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उस श्रद्धालु ने महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ की पूरी घटनाक्रम को आंखों से देखी है।
बुजुर्ग प्रत्यक्षदर्शी ने अपने रिश्तेदारों को बताया कि वह घटना के दिन और समय वहीं मौके पर मौजूद थे। हालांकि इनके लिए सौभाग्य की बात रही कि ये पवित्र स्नान करने के बाद घाट से कुछ दूरी पर अपने कपड़े बदल रहे थे। इसी दौरान वहां मौके पर लगातार भीड़ बढ़ती जा रही थी। इसी बीच लगभग 20 से 25 युवकों का एक झुंड भी वहां पहुंचा। उनके हाथों में लाठी-डंडे थे।
अपने रिश्तेदारों को बताये गये घटनाक्रम में बुजुर्ग प्रत्यक्षदर्शी ने कहा ये सभी युवक कुछ नारेबाजी कर रहे थे, लेकिन भीड़ की आवाज में कुछ स्पष्ट सुनाई नहीं दे रहा था। कुछ देर में वहां की स्थिति असमान्य होते देख पुलिसकर्मियों ने वहां कपड़े बदल रहे लोगों के एक तरफ कर दिया। तभी वहीं से युवकों ने ऐसा कुछ किया कि भगदड़ जैसी स्थिति शुरू हो गई और हम पीछे हटते चले गये। कुछ देर में वहां हालात गंभीर हो गए। किसी भी तरह से ओडिशा लौटकर आये। इसके बाद इस प्रत्यक्षदर्शी के एक रिश्तेदार ने इनके घटनाक्रम को मेरे साथ साझा किया और कहा कि इसमें हम सभी के नाम गुप्त रखे जाने चाहिए और प्रशासन से वहां के वीडियो फुटेज खंगालने का सुझाव इन लोगों दिया है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 साल बाद लगे महाकुंभ में भगदड़ के पीछे एक बड़ी साजिशा का खुलासा हुआ है। यदि हम ओडिशा के एक प्रत्यक्षदर्शी श्रद्धालु की बातों को मानें तो 20 से 25 युवकों के एक झुंड ने इस भगदड़ की पृष्ठभूमि तैयार की थी।
जांच प्रक्रियाओं के दौरान परेशानी न हो, इसलिए नाम और पता गुप्त रखने की शर्तों पर बुजुर्ग प्रत्यक्षदर्शी के रिश्तेदारों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि उस श्रद्धालु ने महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ की पूरी घटनाक्रम को आंखों से देखी है।
बुजुर्ग प्रत्यक्षदर्शी ने अपने रिश्तेदारों को बताया कि वह घटना के दिन और समय वहीं मौके पर मौजूद थे। हालांकि इनके लिए सौभाग्य की बात रही कि ये पवित्र स्नान करने के बाद घाट से कुछ दूरी पर अपने कपड़े बदल रहे थे। इसी दौरान वहां मौके पर लगातार भीड़ बढ़ती जा रही थी। इसी बीच लगभग 20 से 25 युवकों का एक झुंड भी वहां पहुंचा। उनके हाथों में लाठी-डंडे थे।
अपने रिश्तेदारों को बताये गये घटनाक्रम में बुजुर्ग प्रत्यक्षदर्शी ने कहा ये सभी युवक कुछ नारेबाजी कर रहे थे, लेकिन भीड़ की आवाज में कुछ स्पष्ट सुनाई नहीं दे रहा था। कुछ देर में वहां की स्थिति असमान्य होते देख पुलिसकर्मियों ने वहां कपड़े बदल रहे लोगों के एक तरफ कर दिया। तभी वहीं से युवकों ने ऐसा कुछ किया कि भगदड़ जैसी स्थिति शुरू हो गई और हम पीछे हटते चले गये। कुछ देर में वहां हालात गंभीर हो गए। किसी भी तरह से ओडिशा लौटकर आये। इसके बाद इस प्रत्यक्षदर्शी के एक रिश्तेदार ने इनके घटनाक्रम को मेरे साथ साझा किया और कहा कि इसमें हम सभी के नाम गुप्त रखे जाने चाहिए और प्रशासन से वहां के वीडियो फुटेज खंगालने का सुझाव इन लोगों दिया है।