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पद्म पुरस्कार विजेताओं में ओडिशा की चार विभुतियां

  • राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और साहित्य-स्वास्थ्य क्षेत्र में योगदान को मिला सम्मान

भुवनेश्वर। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2025 के प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गई। ओडिशा से चार व्यक्तियों का चयन पद्मश्री पुरस्कार के लिए हुआ है, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान दिया है। आद्वैत चरण गडनायक को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। वहीं, डॉ अशोक कुमार महापात्र को चिकित्सा के क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए चुना गया है। इसके अलावा, दुर्गा चरण रणवीर को कला और प्रतिभा सतपथी को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार दिया जाएगा।
अद्वैत चरण गडनायक (कला)
ढेंकानाल जिले के नेउलापोई गांव में जन्मे अद्वैत चरण गडनायक ने कला के क्षेत्र में अनूठी पहचान बनाई है। उन्होंने बीके कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स, नई दिल्ली के आर्ट कॉलेज और लंदन के स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट्स में शिक्षा प्राप्त की।
राष्ट्रीय आधुनिक कला दीर्घा के पूर्व महानिदेशक गड़नायक ने कई ऐतिहासिक कृतियां तैयार की हैं, जिनमें राजघाट पर दांडी मार्च, इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट लंबी प्रतिमा और दिल्ली के चाणक्यपुरी में 30 फीट ऊंचा राष्ट्रीय पुलिस स्मारक शामिल हैं।
गडनायक ने कहा कि यह मेरे लिए गौरव का क्षण है। यह पहली बार है जब ओडिशा के किसी समकालीन कलाकार को पद्म श्री सम्मान मिला है। मैं प्रधानमंत्री मोदी की आर्ट इंडिया की दृष्टि का समर्थन करता हूं।
डॉ अशोक कुमार महापात्र, चिकित्सा
एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज, ब्रह्मपुर के पूर्व छात्र डॉ अशोक महापात्र ने 2017 में जग्गा और बालिया नामक जुड़वां भाइयों की खोपड़ी से जुड़े होने की दुर्लभ सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था। यह सर्जरी लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल है।
डॉ महापात्र ने कहा कि मैंने हमेशा अपनी जिम्मेदारी निभाई है और अब मुझे सम्मानित किया गया है। यह मेरे लिए गर्व का क्षण है। वर्तमान में वे सोआ विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विज्ञान के प्रधान सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले अशोक कुमार महापात्र एम्स भुवनेश्वर की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन की थी।
प्रतिभा सतपथी, साहित्य और शिक्षा
कटक जिले के सत्यभामापुर गांव में जन्मी प्रतिभा सतपथी ने ओड़िया साहित्य में अपनी गहन मानवीय संवेदनाओं वाली कविताओं से पहचान बनाई।
केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त सतपथी ने तनमय धूलि, निमिषे अक्षरा और अधा अधा नक्षत्र जैसी रचनाओं के जरिए साहित्य प्रेमियों को आकर्षित किया।
उन्होंने कहा कि यह मेरे लिए सम्मान और जिम्मेदारी दोनों है। मैं समाज के लिए लिखती रहूंगी।
दुर्गा चरण रणवीर, कला
खुर्दा जिले के कामगुरु गांव में जन्मे दुर्गा चरण रणवीर ने गुरु देव प्रसाद दास की शैली को वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा दिलाई।
रणवीर ने कहा कि भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से मुझे यह पुरस्कार मिला है। उन्होंने ओडिसी नृत्य के प्रचार और प्रशिक्षण के लिए नृत्यायन संस्था की स्थापना की।
मुख्यमंत्री ने दी बधाई
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर चारों विजेताओं को बधाई दी। उन्होंने लिखा कि पद्म पुरस्कारों के लिए चुने गए सभी विजेताओं को हार्दिक बधाई। विशेष रूप से डॉ अशोक महापात्र (चिकित्सा), अद्वैत चरण गड़नायक और दुर्गा चरण रणवीर (कला) और प्रतिभा सतपथी (साहित्य एवं शिक्षा) ने ओडिशा का मान बढ़ाया है। मैं भगवान जगन्नाथ से सभी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूं।

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