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कहा-राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर करेगा काम
भुवनेश्वर। विश्व ओड़िया परिवार ओडिशा से बाहर रह रहे ओड़िया भाई-बहनों को संगठित कर 2036 तक “विकसित ओडिशा” के निर्माण में उनकी सहभागिता सुनिश्चित करेगा। इसके लिए राज्य सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर संगठन कार्य करेगा। विश्व ओड़िया परिवार के अध्यक्ष सज्जन शर्मा ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि ओडिशा अपनी गौरवशाली विरासत, भाषा, कला, संस्कृति, आध्यात्मिकता, परंपरा, प्राकृतिक संपदा, भोजन और पहनावे के लिए अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। यह ओडिशा के प्राचीन इतिहास और स्थापत्य कला में स्पष्ट रूप से झलकता है। इसी तरह, हमारा व्यापार और व्यवसाय भी अत्यंत प्राचीन है। आज कई ओड़िया व्यक्ति देश और विश्व के विभिन्न हिस्सों में निवास कर रहे हैं, विविध क्षेत्रों में कार्यरत हैं और अपने-अपने क्षेत्र में विशिष्ट पहचान बनाकर ओडिशा तथा हर ओड़िया को गौरवान्वित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपनी मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करें।
उन्होंने कहा कि आधुनिक विश्व में ओड़िया परंपराओं के मूल्यों और भावना को बढ़ावा देना, ओड़िया समाज में आत्मीयता और सौहार्द्र को पोषित करना विश्व ओड़िया परिवार का मुख्य लक्ष्य है। “हमारी मेहमाननवाजी, हमारी पहचान” को इसका मूल मंत्र बनाया गया है। 2036 तक विकसित ओडिशा और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में ओडिशा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। विश्व ओड़िया परिवार इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
आधुनिक विश्व में ओड़िया परंपराओं के मूल्यों और भावना को बढ़ावा देना, ओड़िया समाज में आत्मीयता और सौहार्द्र को पोषित करना विश्व ओड़िया परिवार का मुख्य लक्ष्य है। “हमारी मेहमाननवाजी, हमारी पहचान” को इसका मूल मंत्र बनाया गया है। 2036 तक विकसित ओडिशा और 2047 तक विकसित भारत के निर्माण में ओडिशा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। विश्व ओड़िया परिवार इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग ले रहा है।
भाषा और साहित्य, ओड़िया अस्मिता का प्रचार, सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण, ओड़िया पारंपरिक भोजन का प्रचार, “हमारी मेहमाननवाजी, हमारी पहचान” का पालन, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण का आयोजन, कला और कलाकारों का सम्मान, विदेश में बसे प्रतिष्ठित ओड़िया भाई-बहनों को ओडिशा के निवासियों से जोड़ना और उन्हें विश्व पटल पर पहचान दिलाना विश्व ओड़िया परिवार का मुख्य उद्देश्य है।
उन्होंने बताया कि हाल ही में संपन्न प्रवासी भारतीय सम्मेलन में विश्व ओड़िया परिवार द्वारा ओडिशा की गौरवशाली विरासत, मंदिर, भाषा, कला, स्थापत्य, संस्कृति, आध्यात्मिकता, परंपरा, आयुर्वेद, प्राकृतिक संपदा, भोजन, पहनावे और आभूषणों पर आधारित “ग्लोरियस ओडिशा” नामक पुस्तक अतिथियों को भेंट की गई। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लेखकों के लेखों का संग्रह प्रकाशित किया गया। इस अवसर पर भवानी प्रसाद मिश्रा, सुभ्रत नायक, सुरेश साहू, श्रीकांत पाढ़ी और किशोर जेना उपस्थित थे।