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जनता से दिल जोड़ने की कोशिशें में जुटे मंत्री, लेकिन अधिकारी बने पहुंच से दूर
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जनता की सरकार में भी केबिन से ही शासन कर रहे हैं अधिकारी
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
ओडिशा में बीजू जनता दल के मुखिया तथा लगभग 25 सालों तक मुख्यमंत्री रहे नवीन पटनायक की सरकार भले ही बदल गयी, लेकिन शासनतंत्र की कार्यशैली आज भी वैसी ही बनी हुई है। यह कार्यशैली ओडिशा में मौजूदा मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के लिए एक चुनौती बनती दिख रही है।
राज्य में भाजपा की नई सरकार को सत्ता संभाले हुए छह माह से अधिक हो गये, लेकिन पूर्ववर्ती सरकार की कार्यशैली का प्रभाव अब भी स्पष्ट दिखाई देता है। जहां एक ओर मंत्रीगण जनता से संवाद स्थापित करने की कोशिशों में लगे हुए हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की जनता से दूरी और मुख्यमंत्री के शिकायत कक्ष में उमड़ रही हजारों की भीड़ ने प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हालांकि नवीन सरकार की कार्यशैली से इतर रास्ता अपनाते हुए मौजूदा मंत्रिमंडल के सदस्य जनता से जुड़ने और उनकी समस्याओं को समझने के प्रयास कर रहे हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। अधिकारियों की सहज उपलब्धता नहीं है और केबिन राज काम कर रहा है।
आलम यह है कि राज्य के दूरस्त ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग अपनी शिकायतें लेकर सीधे भुवनेश्वर स्थित मुख्यमंत्री के शिकायत कक्ष में पहुंच रहे हैं। शिकायतों की संख्या इतनी अधिक है कि हर सुनवाई में लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं।
मुख्यमंत्री शिकायत कक्ष के बाहर जमा भीड़ के संकेत
मुख्यमंत्री के शिकायत कक्ष के बाहर जमा भीड़ यह संकेत देती है कि या तो अधिकारियों तक लोगों की पहुंच सुलभ नहीं है या तो फिर सिस्टम पर सही काम नहीं किया जा रहा है। इसमें से कोई एक बात तो है कि लोगों को सीधे मुख्यमंत्री के पास अपनी समस्याएं लेकर आने के लिए विवश होना पड़ रहा है, क्योंकि उनकी बातों को सुनने के लिए अधिकारी उपलब्ध नहीं हैं। आपको जानना चाहिए कि पिछली सरकार में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक तक लोगों की पहुंच नहीं थी और ना ही वरिष्ठ अधिकारी उपलब्ध होते थे।
रघुवर दास ने जनता से संवाद को दी नई दिशा
इस बीच राज्यपाल रूप में रघुवर दास ओडिशा आते हैं और उन्होंने राजभवन के दरवाजे जनता के लिए खोल दिये और तीन महीनों में राज्य के सभी जिलों का दौरा किया और जनता ने सीधा संवाद स्थापित किया। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की अनुपलब्धता के प्रति लोगों का गुस्सा फूटा और राज्य में भाजपा की नई सरकार बनी। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पदभार संभालते ही लोगों की बातों को सुनने के लिए एक कक्ष स्थापित कर दिया, जहां राज्यभर से लोग अपनी परेशानियों को लेकर आते हैं और अब यह कक्ष प्रवासी ओड़िया के लिए भी खोल दिया गया है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि जो व्यक्ति, युवा या महिला अपनी दिव्यंगता के कारण चार कदम नहीं चल सकते वह किसी तरह से मुख्यमंत्री के शियाकत कक्ष तक पहुंचते हैं और अपनी परेशानियों को रखते हैं।
यह स्थिति प्रशासनिक ढांचे में अधिकारियों की निष्क्रियता की ओर इशारा करती है। जिला और प्रखंड स्तर पर काम करने वाले अधिकारियों की जिम्मेदारी है कि वे लोगों की समस्याओं को समझें और उनका समाधान करें, लेकिन जब जनता को छोटे-छोटे मुद्दों के लिए राज्य की राजधानी तक का सफर तय करना पड़े, तो यह स्पष्ट है कि निचले स्तर तक प्रशासन आज भी पुरानी कार्यशैली को छोड़ नहीं पायी है।
सरकार की छवि पर असर
सरकार की छवि को लेकर जनता में मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। एक ओर जहां मंत्री और सरकार की ओर से योजनाओं और विकास कार्यों को जनता तक पहुंचाने के प्रयास जारी हैं, वहीं अधिकारियों की निष्क्रियता सरकार की छवि को धूमिल कर रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जनता की समस्याओं को गंभीरता से सुनना और उनका त्वरित समाधान करना ही सरकार की सफलता का आधार होता है। लेकिन जब अधिकारियों के स्तर पर यह काम नहीं हो रहा है, तो सरकार की नीतियों और योजनाओं का प्रभाव भी कम हो जाता है।
जनता की अपेक्षाएं और सुझाव
राज्य के विभिन्न हिस्सों में जब लोगों से बातचीत की गई, तो सुझाव मिला कि शिकायत समाधान तंत्र को मजबूत किया जाना चाहिए।
• स्थानीय स्तर पर सुनवाई: शिकायतों का समाधान जिला और प्रखंड स्तर पर किया जाए ताकि लोगों को राजधानी तक का सफर न करना पड़े।
• अधिकारियों की जवाबदेही तय हो: अधिकारियों के लिए सख्त दिशा-निर्देश लागू किए जाएं ताकि वे शिकायतों को गंभीरता से लें।
• तकनीकी का उपयोग: ऑनलाइन शिकायत समाधान प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाया जाए ताकि लोग डिजिटल माध्यम से अपनी समस्याएं दर्ज करा सकें।
• वरिष्ठ अधिकारियों की सहज उपलब्धता: आज डिजिटल इंडिया का दौर है। ऐसी स्थिति में वरिष्ठ अधिकारियों की सहज उपलब्धता होनी चाहिए। इसके लिए जिम्मेदारियां तय करते हुए अलग-अलग अधिकारियों के नंबर जारी किये जा सकते हैं।
मौजूदा सरकार के लिए चुनौती
मुख्यमंत्री के शिकायत कक्ष में उमड़ती भीड़ और अधिकारियों की निष्क्रियता को देखते हुए यह स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार के सामने प्रशासनिक सुधार एक बड़ी चुनौती है। अगर सरकार इस मुद्दे पर समय रहते कदम नहीं उठाती, तो यह उसकी विश्वसनीयता और कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर डाल सकता है।
अधिकारियों की सक्रियता के लिए ठोस कदम उठाने होंगे
ओडिशा में प्रशासनिक व्यवस्था को प्रभावी बनाने और जनता के विश्वास को कायम रखने के लिए सरकार को निचले स्तर के अधिकारियों को सक्रिय करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। साथ ही, जनता से संवाद बनाए रखना और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
मंत्री और अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय और जवाबदेही तय करना ही सरकार को जनता के करीब ला सकता है। अन्यथा, मुख्यमंत्री के शिकायत कक्ष में बढ़ती भीड़ सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बनी रहेगी।
जनता की पहुंच से दूर था नवीन का शासन
बीजद मुखिया नवीन पटनायक भले ही 25 सालों तक मुख्यमंत्री बने रहे, लेकिन उनका शासन और तंत्र जनता की पहुंच से दूर था। हालात यह हुए कि रघुवर दास की सहज उपलब्धता ने जनता के लिए एक नई दिशा दिखाई और लोगों के बीच मौजूदा सरकार तक पहुंच नहीं होने के कारण गुस्सा बढ़ता गया और 2024 के चुनाव में बीजद को न सिर्फ राज्य में सत्ता गंवानी पड़ी, अपितु लोकसभा के लिए खाता भी नहीं खोल पायी।