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प्राचीन सांस्कृतिक और व्यापारिक रिश्तों को और मजबूत बनाने की आवश्यकता बताया
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
भारत और नेपाल के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए अपनी कनेक्टिविटी को बेहतर करने की जरूरत है। रेल और सड़क नेटवर्क को विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में संबंध और मजबूत हो सकें।
नेपाल-भारत सहयोग मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार वैद्य ने इन संबंधों को विस्तार देने पर जोर दिया और कहा कि नेपाल और भारत के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध त्रेता युग से लेकर आज तक अनवरत रूप से गहरे रहे हैं। राम और सीता के पवित्र संबंध, काशी विश्वनाथ, भगवान बुद्ध, महावीर और हिमालय-गंगा की साझी विरासत इन दोनों देशों को एक अभिन्न सांस्कृतिक बंधन में बांधती है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों की साझा संस्कृति, भाषा और लिपि से लेकर धार्मिक स्थलों तक के जुड़ाव ने नेपाल और भारत के रिश्तों को सुदृढ़ किया है। उन्होंने रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट, और जैन सर्किट के विकास को दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्तों को और गहरा करने में सहायक बताया।
धार्मिक स्थलों से पर्यटन को बढ़ावा
ओडिशा प्रवास पर आये वैद्य ने कहा कि मुक्तिनाथ, पशुपतिनाथ, जानकी मंदिर, स्वर्गद्वारी और वेदव्यास की जन्मभूमि जैसे नेपाल के धार्मिक स्थलों का विकास और भारत के साथ पर्यटन को बढ़ावा देना आवश्यक है। नेपाल दुनिया का सबसे खूबसूरत देश है और इन स्थलों पर पर्यटन बढ़ाने के लिए नेपाल को अपने सड़क और हवाई नेटवर्क का विस्तार करना होगा।
व्यापार घाटा दूर करने की आवश्यकता
उन्होंने नेपाल-भारत के व्यापारिक संबंधों पर भी चर्चा की और बताया कि वर्तमान में नेपाल और भारत के बीच व्यापार में 9 गुना का घाटा है। इसे कम करने के लिए भारत को नेपाल से अधिक आयात के लिए सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। इसके साथ ही नेपाल को अपनी कनेक्टिविटी को बेहतर करना होगा। उन्होंने रेल और सड़क नेटवर्क को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार और शिक्षा के क्षेत्र में संबंध और मजबूत हो सकें।
नेपाल और ओडिशा के हैं ऐतिहासिक संबंध
वैद्य ने नेपाल और ओडिशा के बीच के ऐतिहासिक संबंधों का भी उल्लेख किया। श्री जगन्नाथ मंदिर और पशुपतिनाथ मंदिर का आध्यात्मिक जुड़ाव इन दोनों राज्यों को जोड़ता है। उन्होंने बताया कि अतीत में नेपाल से चावल का निर्यात ओडिशा से किया जाता था, लेकिन आज यह स्थिति ऐसी नहीं रही है।
सीमा क्षेत्र में रक्षाबंधन जैसे आयोजन से रिश्तों में मजबूती
उन्होंने 2015 में भारत-नेपाल सीमा पर सांसदों के बीच बॉर्डर सबमिट और रक्षाबंधन कार्यक्रम का उदाहरण देते हुए कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक और जन-जन को जोड़ने वाले आयोजनों से संबंध और प्रगाढ़ हो सकते हैं। उन्होंने अयोध्या में राम-सीता के संबंध को प्रतीकात्मक रूप से उजागर करने वाले रक्षाबंधन समारोह का भी उल्लेख किया।
साझा सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आवश्यकता
अशोक कुमार वैद्य ने सुझाव दिया कि दोनों देशों को नियमित रूप से सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए। इससे न केवल दोनों देशों के नागरिकों के बीच संबंध मजबूत होंगे, बल्कि पर्यटन, शिक्षा और व्यापार के क्षेत्र में भी आपसी सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
धार्मिक परियोजनाओं को और बढ़ावा देने की जरूरत
अशोक कुमार वैद्य ने कहा कि रामायण सर्किट, बुद्ध सर्किट और जैन सर्किट जैसे धार्मिक परियोजनाओं को और बढ़ावा देकर दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत किया जा सकता है। नेपाल और भारत के बीच प्राचीन और गहरे संबंध हैं, जिन्हें मजबूत और व्यापक बनाने के लिए सभी स्तरों पर प्रयास किए जाने चाहिए।