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कहा- भविष्य युद्ध में नहीं, बुद्ध में है
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सम्राट अशोक और धौली शांति स्तूप का किया जिक्र
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प्रवासी भारतियों भारत में निवेश को दिया निमंत्रण
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योग, आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये भारत की सॉफ्ट पावर
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18वें प्रवासी भारतीय दिवस पर आयोजित समारोह को किया संबोधित
भुवनेश्वर। महाप्रभु श्री जगन्नाथ की धरती से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18वें प्रवासी भारतीय दिवस पर दुनिया को शांति की राह पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भविष्य युद्ध में नहीं, बल्कि बुद्ध के विचारों में है। सम्राट अशोक और धौली शांति स्तूप का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत की प्राचीन शांति परंपरा को रेखांकित किया और इसे आज के वैश्विक संकटों का समाधान बताया।
ओडिशा की राजधानी स्थित जनता मैदान में
आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी ने प्रवासी भारतीयों को संबोधित करते हुए उन्हें भारत की प्रगति में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय देश की ताकत हैं और भारत को आत्मनिर्भर बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने प्रवासियों से भारत में निवेश करने और विभिन्न क्षेत्रों में अपने अनुभव साझा करने का आग्रह किया।
मोदी ने भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व के लिए समस्याओं का समाधान प्रस्तुत कर रहा है। योग, आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये भारत की सॉफ्ट पावर हैं, जो दुनिया को जोड़ने का काम कर रही हैं।
उपलब्धियों और योजनाओं की जानकारी दी
प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों को भारत की उपलब्धियों और योजनाओं की जानकारी भी दी। उन्होंने डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में निवेश का यह सबसे उपयुक्त समय है। उन्होंने प्रवासियों से अपील की कि वे भारत को अपनी मातृभूमि समझें और उसकी प्रगति में योगदान दें।
भारत की नीतियां वैश्विक चुनौतियों का समाधान
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की नीतियां “वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर” के सिद्धांत पर आधारित हैं। उन्होंने कहा कि यह विचारधारा न केवल भारत की संस्कृति का हिस्सा है, बल्कि वैश्विक चुनौतियों का समाधान भी है।
प्रधानमंत्री ने प्रवासी भारतीयों को भारत के ब्रांड एंबेसडर बताते हुए कहा कि वे अपनी कर्मभूमि में भारत की पहचान को मजबूत कर रहे हैं।
भविष्य के सपनों का संगम था संबोधन
प्रधानमंत्री का यह संबोधन भारत की प्राचीन विरासत, वर्तमान उपलब्धियों और भविष्य के सपनों का संगम था। प्रवासी भारतीय दिवस समारोह ने दुनिया भर में बसे भारतीयों को अपनी जड़ों से जोड़ने का एक अवसर प्रदान किया और देश के प्रति उनके समर्पण को और मजबूत किया।
कार्यक्रम में विभिन्न देशों से आए प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान केंद्रीय रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव, जुएल ओराम और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चारण माझी उप मुख्यमंत्री के सिंहदेव और प्रभाती परिडा उपस्थित थे।