भुवनेश्वर। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि ओडिशा विकास के सभी आयामों में प्रगति का जीवंत प्रमाण है।वह प्रवासी भारतीय दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे।
भुवनेश्वर, जिसे मंदिरों की नगरी कहा जाता है, इन दिनों गतिविधियों से सराबोर है क्योंकि यहां पहली बार प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) का आयोजन हो रहा है। आज (बुधवार) पहले दिन युवा प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जा रहा है, जो युवा मामलों और खेल मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है। इस मौके पर
अपने संबोधन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ओडिशा और यहां के ऊर्जावान और आशावादी युवाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह राज्य (ओडिशा) पीबीडी के दौरान चर्चा किए जाने वाले विषयों का व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करने का बेहतरीन अवसर देता है। इसके सांस्कृतिक उत्सव, धार्मिक और पुरातात्विक स्थल इस बात की याद दिलाते हैं कि भारत को हम सभ्यतागत समाज क्यों मानते हैं।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि ओडिशा विकास की प्रगति के सभी आयामों में एक जीवंत प्रमाण है। यहां के युवाओं की ऊर्जा और आशावाद सीखने के संस्थानों और रोजमर्रा के जीवन में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
जयशंकर ने कहा कि नए भारत में 90,000 से अधिक स्टार्टअप्स और 100 से अधिक यूनिकॉर्न्स, अटल टिंकरिंग लैब्स और नैनो फर्टिलाइजर के साथ उम्मीद और महत्वाकांक्षा का संचार हो रहा है। महत्वाकांक्षी दृष्टि को साकार करने के लिए मजबूत नींव आवश्यक है, और युवाओं में निवेश करना इस दिशा में बेहद जरूरी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से प्रवासी भारतीय पत्रकारों और युवाओं से भारत को पर्यटन गंतव्य के रूप में बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि यदि युवा भारतीय अपने विदेशी दोस्तों को भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक धरोहर का अनुभव कराने लाते हैं, तो यह उनकी आदत बन सकती है।
जयशंकर ने कहा कि यह समय युवाओं का है। चाहे एआई और ईवी की बात हो, या नवाचार, स्टार्टअप्स, क्रिकेट, शतरंज और अन्य खेलों की – हर जगह युवा अपनी छाप छोड़ रहे हैं। हमारे देश ने अमृत काल में विकसित भारत की यात्रा शुरू की है, जिसमें युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमें युवाओं को प्रेरित कर उनके प्रयासों को तेज करने की आवश्यकता है।”
उन्होंने बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं क्योंकि उन्होंने देश को ‘चलता है’ से ‘बदल सकता है’ और फिर ‘होगा कैसे नहीं’ के नजरिये तक पहुंचाया है। यही दृष्टिकोण हाल के वर्षों में भारत की उपलब्धियों का आधार बना है।