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राज्य में अब तक 11 मौतें दर्ज
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सरकार की राहत की घोषणा के बावजूद नहीं थम रहा मौत का सिलसिला
कटक। जिले के बारंग ब्लॉक के उसुमा पंचायत के सुमंडी गांव में सोमवार को एक और किसान ने अपनी बर्बाद फसलें देखने के बाद दम तोड़ दिया।
मृतक किसान की पहचान इंद्रजीत चटोई के रूप में हुई है। उनके परिवार वालों का कहना है कि खेत का निरीक्षण कर घर लौटने के बाद उन्हें दिल का दौरा पड़ा। बताया गया कि बारिश के कारण उनकी फसलों का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया था और वह कर्ज के चलते आर्थिक दबाव में थे।
इससे पहले केंद्रापड़ा जिले के कोलाडिहा गांव के किसान कैलाश चंद्र धाल ने जहर खाकर अपनी जान दे दी थी। बताया गया कि उन्होंने 8 एकड़ जमीन पर धान की फसल उगाई थी, जो दिसंबर 19 से शुरू हुई असमय और लगातार बारिश में नष्ट हो गई। लगभग 2.5 से 3 लाख रुपये के कर्ज और बढ़ते वित्तीय दबाव के कारण वह मानसिक तनाव में आ गए, जिसने उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।
इसके अलावा, 3 जनवरी को नयागढ़ के रणपुर ब्लॉक में दो किसानों की मौत उनकी फसलों की बर्बादी देखकर सदमे के कारण हो गई।
इस गंभीर स्थिति के बीच, मुख्यमंत्री मोहन माझी के नेतृत्व वाली ओडिशा सरकार ने पिछले महीने की बारिश को राज्य आपदा घोषित करते हुए 291 करोड़ रुपये के मुआवजा पैकेज की घोषणा की है। इसमें धान के अलावा अन्य फसलों के किसानों को भी शामिल किया गया है।
राज्य सरकार ने मुआवजे की तेज़ी से वितरण, बीमा कंपनियों को दावों के निपटारे में अनियमितताओं के खिलाफ चेतावनी और किसानों को राहत प्रदान करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
फिर भी, बढ़ती किसान मौतों के इस संकट ने राज्य में कृषि क्षेत्र की स्थिति और किसानों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।