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जगन्नाथ मंदिर के ऊपर दिखे अज्ञात ड्रोन मंडराया
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दोनों घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता पर सवालिया निशान लगाया
भुवनेश्वर। ओडिशा में दो अलग-अलग घटनाओं ने सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पहली घटना झारसुगुड़ा में मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के पास अज्ञात ड्रोन गिरने की है, जबकि दूसरी घटना पुरी में जगन्नाथ मंदिर के ऊपर प्रतिबंधित क्षेत्र में ड्रोन मंडराने की है। दोनों घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता पर सवालिया निशान लगा दिया है।
बताया जाता है कि गुरुवार को मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी झारसुगुड़ा के पुरनाबस्ती इलाके में झडेश्वर मंदिर जा रहे थे। इसी दौरान उनके काफिले के पास एक अज्ञात ड्रोन गिर गया। मुख्यमंत्री के साथ मौजूद राजस्व मंत्री सुरेश पुजारी और सुरक्षा कर्मी भी इस घटना से चौंक गए।
मुख्यमंत्री के सुरक्षा अधिकारियों और स्थानीय पुलिस ने तुरंत ड्रोन को हटाया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह ड्रोन संभवतः फोटोग्राफी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। लेकिन यह ड्रोन सुरक्षा घेरे को तोड़कर मुख्यमंत्री के इतने करीब कैसे पहुंचा, इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है।
जगन्नाथ मंदिर पर भी सुरक्षा उल्लंघन
रविवार सुबह श्री जगन्नाथ मंदिर के प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र के ऊपर एक ड्रोन उड़ते हुए देखा गया, जिससे सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। लगभग सुबह 4:10 बजे ड्रोन दोलमंडप साही से मंदिर की ओर आया और पहले मंदिर परिसर के आसपास मंडराया, फिर मेघनाद प्राचीर, जो मंदिर की बाहरी दीवार है, के बाद आगे बढ़ा।
अवैध ड्रोन मंदिर के दधिनउती के ऊपर मंडराता हुआ, नीलचक्र के ऊपर भी घूमता हुआ देखा गया। इसके बाद इसे उत्तर द्वार क्षेत्र के ऊपर से गुजरते हुए श्रीदंड से ऊपर उठते हुए वापस उसी स्थान पर लौटते हुए देखा गया।
ड्रोन ऑपरेटर की पहचान नहीं
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन अभी तक ड्रोन ऑपरेटर की पहचान नहीं कर पाए हैं और न ही यह पता चला है कि ड्रोन ने मंदिर के प्रतिबंधित हवाई क्षेत्र में कैसे प्रवेश किया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि पुरी पुलिस विभाग सक्रिय रूप से ड्रोन ऑपरेटर की पहचान करने के लिए जांच कर रहा है। उचित कानूनी कार्रवाई जल्दी की जाएगी।
यह घटना उस समय हुई है, जब ओडिशा के पर्यटन स्थल पुरी को ‘प्रवासी भारतीय दिवस’ के आयोजन से पहले सुरक्षा उपायों को मजबूत किया जा रहा है, जो 8 से 10 जनवरी तक भुवनेश्वर में आयोजित होने वाला है।
दो साल पहले भी हुई थी ऐसी घटना
यह ध्यान देने योग्य है कि दो साल पहले भी ऐसा ही एक घटना हुई थी, जब पश्चिम बंगाल के एक यूट्यूबर ने जगन्नाथ मंदिर के ऊपर ड्रोन उड़ाया और बाद में माफी मांगी। मंदिर के ऊपर ड्रोन उड़ाने और ऐसी वीडियो बनाने से सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठे थे। 5 मिनट 42 सेकेंड की इस वीडियो में पूरी जगन्नाथ मंदिर परिसर को हवाई दृष्टिकोण से विस्तार से दिखाया गया था, जिससे मंदिर पुलिस और सुरक्षा कर्मियों की भूमिका पर सवाल उठे थे।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
दोनों घटनाओं ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री की सुरक्षा और जगन्नाथ मंदिर जैसे महत्वपूर्ण स्थल पर ड्रोन की उपस्थिति ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ड्रोन के अनधिकृत उपयोग को रोकने के लिए सख्त नियम और निगरानी व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। सुरक्षा एजेंसियां अब यह जांच कर रही हैं कि इन दोनों मामलों में ड्रोन कैसे और क्यों उड़ाए गए और इनका उद्देश्य क्या था।
इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा प्रोटोकॉल को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।
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