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भुवनेश्वर में यौनकर्मियों को राशन उपलब्ध कराने का आदेश

  • सामाजिक कार्यकर्ता नम्रता चड्ढा की याचिका पर ओडिशा मानवाधिकार आयोग ने जारी किया आदेश

  • अनिल धीर ने की यौनकर्मियों के खाते को जनधन में तब्दील करने की मांग

  • प्रदीप त्रिपाठी ने उनके पुनर्वास के लिए उचित कदम उठाने को कहा

  • यौनकर्मियों की मदद करने वाला पहला राज्य हो सकता है ओडिशा

भुवनेश्वर. ओडिशा मानवाधिकार आयोग ने यौनकर्मियों के लिए राशन उपलब्ध कराने के लिए आदेश दिया है. ओडिशा मानवाधिकार आयोग ने आज यह आदेश भुवनेश्वर नगर निगम के कमिश्नर को दिया है. साथ ही कहा है कि राशन उपलब्ध कराते समय यह नहीं देखा जाना चाहिए कि उनके पास राशन कार्ड है या नहीं. आयोग ने सामाजिक कार्यकर्ता नम्रता चड्ढा की ईमेल से दायर की गयी याचिका के आधार पर यह आदेश जारी किया है. साथ ही आयोग ने कहा है कि अगली सुनवाई 18 जून को तक सख्त अनुपालन किया जाना चाहिए और रिपोर्ट जमा होनी चाहिए. उल्लेखनीय है कि नम्रता चड्डा ने अपनी याचिका में कोरोना को लेकर जारी लॉकडाउन में यौनकर्मियों की दुर्दशा पर प्रकाश डाला था. वह एनजीओ और उनके लिए अन्य स्रोतों से राशन की व्यवस्था कर रही हैं. इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहास विद् अनिल धीर ने भी इससे पहले भुवनेश्वर और पारादीप के यौनकर्मियों की स्थिति के बारे में अधिकारियों को लिखा था. उन्होंने कहा कि वे कोविद संकट से प्रभावित सबसे कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों में से हैं. लाकडाउन के कारण उनकी आय ठप है. उन्होंने कहा कि यौनकर्मियों के पास जन-धन खाते नहीं हैं, इसके बावजूद उनके पास आधार कार्ड हैं. उन्होंने अधिकारियों से अपने मौजूदा बैंक खातों को जन-धन खातों में परिवर्तित करने का अनुरोध किया है, ताकि उन्हें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सरकार द्वारा घोषित हर महीने 500 रुपये प्राप्त हों. प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत सभी महिला खाताधारक रुपये का प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण प्राप्त करने के लिए पात्र हैं. अगले तीन महीनों तक 500 प्रति माह मिलेंगे. इसके अलावा सरकार को उनके लिए एक विशिष्ट आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, ताकि उन्हें संकट से निपटने में मदद मिल सके.
भारत रक्षा मंच के महासचिव प्रदीप त्रिपाठी ने कहा कि सरकार के लिए यह सही मौका था कि वह उन यौनकर्मियों के पुनर्वास के लिए कदम उठाए, जिन्हें व्यापार में जबरन धकेला गया है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों द्वारा वैकल्पिक आजीविका स्कोप का पता लगाया जाना चाहिए.

अगर राज्य मानवाधिकार आयोग के फैसले पर अमल होता है तो ओडिशा देश में पहला राज्य होगा, जहां यौनकर्मियों की मदद के लिए कदम उठाया गया हो.

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