-
पारादीप पोर्ट पर बकाया भुगतान न करने का आरोप
भुवनेश्वर। ओडिशा के हाईकोर्ट ने सिंगापुर के झंडे वाले कार्गो जहाज एमवी प्रोपेल फॉर्च्यून को पारादीप पोर्ट पर बकाया राशि के भुगतान न करने के कारण जब्त करने का आदेश दिया। जहाज पर शिप चांडलर एमएच ब्लैंड एसएल की 15.56 लाख रुपये की देनदारी थी, जिसे जहाज ने चुकाने से इनकार कर दिया।
बताया गया है कि मई 2024 में एमवी प्रोपेल फॉर्च्यून ने पारादीप पोर्ट पर शिप चांडलर से अपनी आवश्यकताओं के लिए विभिन्न सामग्री और सेवाओं की आपूर्ति का आदेश दिया। इसमें पोषण सामग्री, जहाज के रखरखाव के लिए उपकरण और अन्य सेवाएं शामिल थीं। शिप चांडलर ने समय पर सभी आपूर्तियां कर दीं और इसका भुगतान करने के लिए जहाज से अनुरोध किया।
हालांकि, जहाज ने बार-बार के अनुरोधों को नजरअंदाज करते हुए भुगतान नहीं किया। बकाया राशि का भुगतान न करके जहाज पारादीप पोर्ट छोड़ने की तैयारी में था।
इसके बाद शिप चांडलर ने हाईकोर्ट में तत्काल सुनवाई के लिए याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि यदि जहाज पोर्ट से रवाना हो गया, तो याचिकाकर्ता की इंटरलोक्यूटरी याचिका बेअसर हो जाएगी।
याचिकाकर्ता ने कुल 15.56 लाख रुपये की मांग की, जिसमें बकाया राशि के साथ-साथ मुकदमे का खर्च भी शामिल था।
अवकाश पीठ के न्यायाधीश मुरहरी रमन ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का मामला प्राथमिक दृष्टि से सही प्रतीत होता है। अदालत ने प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों की समीक्षा के बाद पाया कि याचिका एडमिरल्टी अधिनियम के तहत मान्य है।
न्यायालय ने जहाज की जब्ती का आदेश जारी करते हुए इसे भारतीय जलक्षेत्र छोड़ने से रोक दिया।
अदालत ने निर्देश दिया कि इस मामले को 2 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। तब तक जहाज को पारादीप पोर्ट पर रोका जाएगा।
एडमिरल्टी अधिनियम के तहत समुद्री दावों का निपटारा होता है। यह कानून जहाज के मालिकों और सेवा प्रदाताओं के बीच पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। हाईकोर्ट का यह कदम न केवल शिपिंग उद्योग में अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक है, बल्कि सेवा प्रदाताओं के हितों की भी रक्षा करता है।
यह मामला एक महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में देखा जा रहा है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि अंतरराष्ट्रीय जहाज भारतीय जलक्षेत्र में अपने दायित्वों को पूरा करें।