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ओडिशा में 7 दिनों में 7 किसानों की गई जान
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सभी मामलों में फसल नुकसान बताया जा रहा कारण
भुवनेश्वर। पिछले सप्ताह बेमौसम बारिश के कारण फसल को हुए नुकसान से निराश होकर ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले में बालिकुड़ा थाना क्षेत्र के सरेना गांव में एक और किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मृतक किसान की पहचान कृतिबास स्वाईं के रूप में हुई है। खबरों के मुताबिक, कृतिबास सोमवार को अपने भाई के साथ अपने खेत में गया था। बेमौसम बारिश के कारण अपनी तैयार फसल को बर्बाद होते देख वह बहुत निराश हो गए। शाम को वह घर लौटा और अपने आप को कमरे में बंद कर दिया। जब कृतिबास रात के खाने के लिए बाहर नहीं आया, तो उसके परिवार के सदस्यों ने उसका दरवाजा खटखटाया, लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। चिंतित होकर परिवार के सदस्यों ने अपने पड़ोसियों को बुलाया और दरवाजा तोड़ा, तो कृतिबास को छत से लटका हुआ पाया। उन्होंने कृतिबास को बचाया और उसे स्थानीय स्वास्थ्य सुविधा में ले गए जहां डॉक्टरों ने उसे ‘मृत’ घोषित कर दिया। उनके परिवार के सदस्यों ने बाद में आरोप लगाया कि कृतिबास ने फसल की व्यापक क्षति के कारण और खुद को होने वाले नुकसान के डर से यह चरम कदम उठाया। उन्होंने उनके परिजनों को उचित मुआवजा देने की मांग की है।
किसानों की मौत से चिंताजनक स्थिति
इधर, ओडिशा में दिसंबर के दौरान हुई असमय और लगातार बारिश ने जहां व्यापक फसल नुकसान पहुंचाया, वहीं कथित तौर पर एक सप्ताह के भीतर सात किसानों की मौत की खबर ने चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है।
इससे पहले 28 दिसंबर को दो किसानों की मौत की खबर आई थी। जाजपुर के चिकना गांव के किसान मणिभद्र मोहंती की कथित तौर पर बर्बाद फसलें देखने के बाद मौत हो गई। वहीं, केंद्रापड़ा के एक साझेदार किसान दैतारी जेना ने कीटनाशक खाकर कथित रूप से अपनी जान दे दी।
इसी प्रकार, 26 दिसंबर को गंजाम जिले में एक किसान ने आत्महत्या कर ली, जबकि केंद्रापड़ा में फसल बर्बादी देखकर एक किसान को दिल का दौरा पड़ा। इससे पहले, 23 दिसंबर को पुरी के डुंगारा गांव के 75 वर्षीय किसान की कथित तौर पर फसल नुकसान से सदमे के कारण मौत हो गई।
सभी प्रभावितों को मिलेगा मुआवजा
इन घटनाओं के बीच, ओडिशा सरकार ने प्रभावित किसानों को मुआवजा और राहत सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। मुख्यमंत्री मोहन माझी और अन्य मंत्रियों ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर फसल नुकसान का आकलन किया है।
राज्य सरकार ने सभी किसानों को मुआवजा देने की घोषणा की है, चाहे वे धान की खेती करते हों या नहीं। साथ ही, दावों के पंजीकरण की अवधि बढ़ाने और बीमा कंपनियों को किसानों के प्रति संवेदनशीलता बरतने की सलाह भी दी गई है।