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राज्य सरकार ने विधि आयोग का किया गठन

  • अप्रचलित व पुराने कानूनों की पहचान करेगा आयोग – विधि मंत्री

भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने राज्य कानून आयोग का पुनर्गठन किया है, जिसका कार्य राज्य के कानूनों की समीक्षा, आधुनिकीकरण और उन्हें सुव्यवस्थित करना है, जो शासन और कानूनी सुधार को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। ओडिशा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ को छह सदस्यीय आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
राज्य विधि विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गयी है।
आयोग में वरिष्ठ अधिवक्ता सूर्य प्रकाश मिश्र और सौर चंद्र महापात्र सदस्य के रूप में शामिल होंगे, जबकि ओडिशा के महाधिवक्ता पीतांबर आचार्य और विधि विभाग के प्रमुख सचिव पदेन सदस्य के रूप में कार्य करेंगे। विधि विभाग के अतिरिक्त सचिव आयोग के सदस्य सचिव के रूप में कार्य करेंगे।
आयोग का मुख्य दायित्व अप्रचलित और अनावश्यक कानूनों की पहचान करना, कुछ कानूनों को बनाए रखने की आवश्यकता का आकलन करना और उनकी वापसी, प्रतिस्थापन या संशोधन की सिफारिश करना है। यह समवर्ती सूची में सूचीबद्ध कानूनों पर भी ध्यान केंद्रित करेगा और मौजूदा कानूनों में संशोधनों के प्रस्तावों की जांच करेगा। आयोग एक व्यापक समीक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों, प्रतिष्ठित व्यक्तियों और हितधारकों से सुझाव आमंत्रित करेगा।
अपनी नियुक्ति पर बोलते हुए न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ ने राज्य सरकार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा कानूनों में संशोधन की सिफारिश करने और अप्रचलित कानूनों को बदलने के लिए नए कानून प्रस्तावित करने के अवसर के लिए आभारी हूं। आयोग राज्य के कानूनों में आवश्यक परिवर्तनों और अप्रचलित कानूनों को निरस्त करने पर राय प्रदान करेगा।
कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने जोर देकर कहा कि आयोग की स्थापना लंबे समय से लंबित थी। उन्होंने कहा कि 2018 से राज्य सरकार ने ऐसे निकाय के गठन पर विचार किया था और अब इसके पुनर्गठन से व्यवस्थित कानूनी सुधार सुनिश्चित होंगे। आयोग नीतियों और विनियमों की समीक्षा करेगा, संशोधनों का सुझाव देगा और बेहतर शासन को बढ़ावा देने के लिए अप्रचलित कानूनों को हटाएगा।
उन्होंने कहा कि आयोग कानूनों का अनुवाद और व्याख्या करने में भी मार्गदर्शन प्रदान करेगा, जिससे उन्हें अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाया जा सके। इसका उद्देश्य प्रशासनिक दक्षता और जवाबदेही को बढ़ाना है, जो कानूनी ढांचे में संशोधनों और सुधारों की सिफारिश के माध्यम से संभव होगा। ये सिफारिशें राज्य सरकार की निर्णय लेने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने पहले घोषणा की थी कि ओडिशा की कानूनी प्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए अप्रचलित कानूनों की पहचान करने और उन्हें चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

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