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राजनीतिक विज्ञान और हिंदी साहित्य में स्नातक की शिक्षा ली और समाज सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर।
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय राजनीति के एक ऐसे व्यक्तित्व थे, जिनका नाम देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ। उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता का नाम कृष्णा देवी था। अटल जी का बचपन से ही पढ़ाई और साहित्य के प्रति गहरा रुझान था। उन्होंने राजनीतिक विज्ञान और हिंदी साहित्य में स्नातक की शिक्षा ली और समाज सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित किया।
राजनीतिक जीवन
अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के संस्थापकों में से एक थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक के रूप में की। 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना के साथ ही वे सक्रिय राजनीति में आए। उनके कुशल नेतृत्व और प्रभावी वक्तृत्व कला के कारण उन्हें 1957 में पहली बार सांसद बनने का अवसर मिला।
1977 में जनता पार्टी सरकार में अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश मंत्री के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल के दौरान भारत का कूटनीतिक प्रभाव विश्व स्तर पर बढ़ा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देकर देश का गौरव बढ़ाया।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। पहली बार 1996 में, दूसरी बार 1998-1999 में, और तीसरी बार 1999-2004 तक उन्होंने प्रधानमंत्री पद संभाला। उनके कार्यकाल में देश ने कई उपलब्धियां हासिल कीं। 1998 में पोखरण में सफल परमाणु परीक्षण कर उन्होंने भारत को विश्व शक्ति के रूप में स्थापित किया।
उनकी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में स्वर्णिम चतुर्भुज योजना विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिसके तहत देश में राजमार्गों का नेटवर्क बनाया गया। इसके अलावा, उनके कार्यकाल में आर्थिक सुधार, ग्रामीण विकास, और शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
कवि और विचारक
अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक राजनेता थे, बल्कि एक उत्कृष्ट कवि और संवेदनशील विचारक भी थे। उनकी कविताएं जैसे “कदम मिलाकर चलना होगा” और “गीत नया गाता हूं” आज भी लोगों के दिलों में बसती हैं। उनकी रचनाएं देशभक्ति, मानवीय संवेदनाओं और संघर्ष की भावना से परिपूर्ण हैं।
सम्मान और विरासत
अटल बिहारी वाजपेयी को 2015 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया। वे एक ऐसे नेता थे, जिन्होंने अपनी राजनीति में मर्यादा और नैतिकता को सदैव बनाए रखा।
16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनके निधन से देश ने एक ऐसा नेता खो दिया, जो सच्चे अर्थों में जनसेवा और राष्ट्रभक्ति का प्रतीक था। उनकी जीवन गाथा हमें सिखाती है कि ईमानदारी, समर्पण और कड़ी मेहनत से किसी भी ऊंचाई को छुआ जा सकता है।
अटल बिहारी वाजपेयी आज भी भारतीय राजनीति और साहित्य में एक प्रेरणास्रोत के रूप में जीवित हैं। उनके विचार और कार्य अनंत काल तक देशवासियों को प्रेरित करते रहेंगे।