-
मुख्य आरोपी के खाते में आये 1.96 करोड़ रुपये
ब्रह्मपुर। गंजाम जिले के ब्रह्मपुर पुलिस ने सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी करने के आरोप में नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह जानकारी ब्रह्मपुर के पुलिस अधीक्षक डॉ सरवन विवेक एम ने दी। बताया कि इस घटना के संदर्भ में शिकायतकर्ता संतोष कुमार साहू ने पुलिस थाने में लिखित रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके परिवार के कुछ अन्य सदस्यों को नौकरी दिलाने के नाम पर 27,50,000 रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया है।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में जगदीश कुमार बेहेरा (39), हृदानंद मुनी (56), शिशिर कुमार मिश्र (54), सुर्यकांत बेहरा (42), सुनील बेहरा (30), सुमंत पात्र (26), प्रकाश सेठी (36), चोवान जेना (26), संतोष नायक (42) शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इस ठगी के मुख्य आरोपी जगदीश बेहरा के खाते में 11-2-2023 से अब तक विभिन्न बैंक खातों से एक करोड़ 96 लाख 53 हजार पांच सौ रुपये आये हैं। इसकी जांच जारी है।
उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने बताया कि जनवरी 2023 में उनकी मुलाकात हृदानंद मुनी नामक व्यक्ति से हुई, जिसने उन्हें सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का वादा किया। मुनी ने कथित रूप से कुछ नियुक्ति पत्र और सरकारी संपर्क दिखाए, जिससे शिकायतकर्ता विश्वास में आ गया और नौकरी की प्रक्रिया के बारे में पूछा। मुनी ने बताया कि पहले उम्मीदवार का बायोडाटा भेजना होगा, फिर उन्हें पोस्ट के अनुसार लगभग तीन लाख रुपये देने होंगे।
शिकायतकर्ता ने अपने और अपने रिश्तेदारों के बायोडाटा मुनी को भेजे, जिसे उन्होंने जांच के लिए जगदीश बेहरा को भेजा। बाद में मुनी ने उन्हें भुवनेश्वर में बुलाया, जहां उनके संपर्क जगदीश बेहरा से हुई। बेहरा ने खुद को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी बताया और कुछ दिन बाद उन्हें पोस्ट के माध्यम से नियुक्ति पत्र भेजे।
इस प्रक्रिया के बाद शिकायतकर्ता के रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी मुनी से संपर्क किया और उन्हीं शर्तों पर पैसे दिए। कुल मिलाकर 27 लाख 50 हजार रुपये आरोपियों को अलग-अलग तारीखों में ऑनलाइन और नकद दिए गए। आरोपियों ने पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया कि उनका चयन हो चुका है और उन्हें शारीरिक व बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए भुवनेश्वर बुलाया गया।
जब निर्धारित तिथि पर पीड़ितों को जॉइनिंग नहीं मिली और आरोपियों के फोन भी बंद हो गए, तब उन्हें यह एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं। इसके बाद जब उन्होंने पैसे वापस मांगने की कोशिश की, तो आरोपियों ने उन्हें धमकी दी और बाउंसरों के जरिए डराया।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोपियों को गिरफ्तार किया। जांच में यह खुलासा हुआ कि सभी आरोपी बेरोजगार थे और सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी करने के लिए एक गिरोह बनाकर काम कर रहे थे। आरोपियों ने नकली सरकारी कागजात, मोहर, हस्ताक्षर आदि तैयार किए और पीड़ितों को सरकारी कर्मचारी बनाकर नियुक्ति पत्र दिए।
पुलिस ने बताया कि गिरोह के खिलाफ कार्रवाई जारी है और जांच में कई अन्य संदिग्ध लेन-देन भी सामने आ सकते हैं।
उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में जगदीश कुमार बेहेरा (39), हृदानंद मुनी (56), शिशिर कुमार मिश्र (54), सुर्यकांत बेहरा (42), सुनील बेहरा (30), सुमंत पात्र (26), प्रकाश सेठी (36), चोवान जेना (26), संतोष नायक (42) शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इस ठगी के मुख्य आरोपी जगदीश बेहरा के खाते में 11-2-2023 से अब तक विभिन्न बैंक खातों से एक करोड़ 96 लाख 53 हजार पांच सौ रुपये आये हैं। इसकी जांच जारी है।
उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने बताया कि जनवरी 2023 में उनकी मुलाकात हृदानंद मुनी नामक व्यक्ति से हुई, जिसने उन्हें सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने का वादा किया। मुनी ने कथित रूप से कुछ नियुक्ति पत्र और सरकारी संपर्क दिखाए, जिससे शिकायतकर्ता विश्वास में आ गया और नौकरी की प्रक्रिया के बारे में पूछा। मुनी ने बताया कि पहले उम्मीदवार का बायोडाटा भेजना होगा, फिर उन्हें पोस्ट के अनुसार लगभग तीन लाख रुपये देने होंगे।
शिकायतकर्ता ने अपने और अपने रिश्तेदारों के बायोडाटा मुनी को भेजे, जिसे उन्होंने जांच के लिए जगदीश बेहरा को भेजा। बाद में मुनी ने उन्हें भुवनेश्वर में बुलाया, जहां उनके संपर्क जगदीश बेहरा से हुई। बेहरा ने खुद को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी बताया और कुछ दिन बाद उन्हें पोस्ट के माध्यम से नियुक्ति पत्र भेजे।
इस प्रक्रिया के बाद शिकायतकर्ता के रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी मुनी से संपर्क किया और उन्हीं शर्तों पर पैसे दिए। कुल मिलाकर 27 लाख 50 हजार रुपये आरोपियों को अलग-अलग तारीखों में ऑनलाइन और नकद दिए गए। आरोपियों ने पीड़ितों को यह विश्वास दिलाया कि उनका चयन हो चुका है और उन्हें शारीरिक व बायोमेट्रिक सत्यापन के लिए भुवनेश्वर बुलाया गया।
जब निर्धारित तिथि पर पीड़ितों को जॉइनिंग नहीं मिली और आरोपियों के फोन भी बंद हो गए, तब उन्हें यह एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार हो चुके हैं। इसके बाद जब उन्होंने पैसे वापस मांगने की कोशिश की, तो आरोपियों ने उन्हें धमकी दी और बाउंसरों के जरिए डराया।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और आरोपियों को गिरफ्तार किया। जांच में यह खुलासा हुआ कि सभी आरोपी बेरोजगार थे और सरकारी नौकरी के नाम पर ठगी करने के लिए एक गिरोह बनाकर काम कर रहे थे। आरोपियों ने नकली सरकारी कागजात, मोहर, हस्ताक्षर आदि तैयार किए और पीड़ितों को सरकारी कर्मचारी बनाकर नियुक्ति पत्र दिए।
पुलिस ने बताया कि गिरोह के खिलाफ कार्रवाई जारी है और जांच में कई अन्य संदिग्ध लेन-देन भी सामने आ सकते हैं।