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प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 120 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न हो रहा वितरण

  •  ओडिशा के लिए अप्रैल से जून तक के लिए प्रति माह 1.62 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की मात्रा आवंटित

भुवनेश्वर. कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में जरूरतमंदों के बीच प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देशभर में 120 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है. यह जानकारी भारतीय खाद्य निगम की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में दी गयी है. बताया गया है कि केंद्र सरकार ने कोरोना को लेकर जारी लाकडाउन के दौरान गरीबों की मदद के लिए यह योजना शुरू की है. इस योजना के तहत जरूरतमंद लोगों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है. योजना के तहत भारत सरकार विशेष रूप से किसी भी गरीब परिवार को छह महीने तक लाकडाउन के दौरान निःशुल्क अन्न उपलब्ध करा रही है, ताकि कोई भी भूखा न रहे. योजना के तहत अब तक महामारी से प्रभावित देशभर में समाज के कमजोर वर्गों को लगभग 120 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है. भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक सामान्य अंत्योदय अन्न योजना के लाभार्थी को उनके सामान्य कोटे 35 किलोग्राम प्रति कार्ड से पांच किलो अतिरिक्त राशन राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी प्राथमिकता वाले घरों को अगले छह महीने तक मिलेगा. इस योजना पर होने वाले 46,000 करोड़ रुपये के खर्च को केंद्र सरकार वहन कर रही है. यह संपूर्ण खाद्य सहायता योजना भारत सरकार ने राज्य सरकारों पर बिना किसी वित्तीय बोझ के लागू की है.
ओडिशा के लिए अप्रैल से जून तक तीन महीने के लिए पीएमजीकेवाई के तहत प्रति माह 1.62 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न की मात्रा आवंटित की गई है, जिसे 3.24 करोड़ एनएफएसए लाभार्थियों को मुफ्त में वितरित किया जाएगा. ओडिशा के लोगों को मुफ्त अनाज प्रदान करने के लिए लगभग 1895 करोड़ रुपये का कुल खर्च भारत सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. इस योजना के तहत ओडिशा सरकार ने 25 मई तक 4.85 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न, जिसका मूल्य 1892 करोड़ रुपये है, जरूरतमंदों के बीच वितरित कर रही है. इसी अवधि के दौरान एनएफएसए के तहत राज्य सरकार ने 5.65 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न को लिया है. विभिन्न योजनाओं के तहत वितरण के लिए लॉकडाउन की अवधि के दौरान राज्य सरकार ने 10.95 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न लिया है. भारत सरकार ने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए राज्य में खाद्यान्न की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है कि लाकडाउन के दौरान किसी भी गरीब को खाने की संकट की दौर से न गुजरना पड़े.
इसके साथ-साथ किसानों के हितों की रक्षा के लिए बराबर ध्यान दिया जा रहा है. इसके तहत 26 मई तक ओडिशा के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य 1815 प्रति क्विंटल की दर से 57.17 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई है. राज्य सरकार ने विभिन्न केंद्रीय योजनाओं के तहत समान उपयोग के लिए 12.62 लाख मीट्रिक टन चावल को बरकरार रखा है. इस बीच, एफसीआई ने झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे अन्य जरूरतमंद राज्यों को भेजने के लिए राज्य सरकार से 11.77 लाख मीट्रिक टन अधिशेष सीएमआर लिया है. एफसीआई पहले ही लॉकडाउन अवधि के दौरान उपरोक्त राज्यों को 5.58 लाख मीट्रिक टन चावल भेज चुका है, ताकि वहां लोग भूखे न रहें.
इधर, आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत भारत सरकार ने निर्णय लिया है कि एफएफएसए या पीडीएस कार्ड योजना में नहीं आने लगभग आठ करोड़ प्रवासी श्रमिकों को पांच किलोग्राम प्रति माह की दर से दो महीने मई और जून तक मुफ्त में अनाज उपलब्ध कराया जाएगा. इस योजना के क्रियान्वयन पर कुल अनुमानित लागत लगभग 3500 करोड़ रुपये आयेगा,जिसे केंद्र सरकार वहन करेगी. इस योजना के तहत अखिल भारतीय आवंटन आठ लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न है। ओडिशा के लिए भारत सरकार ने लगभग 32 लाख प्रवासी श्रमिक लाभार्थियों को कवर करते हुए 32000 मीट्रिक टन चावल का आवंटन किया है. इस योजना के तहत भारत सरकार लगभग 140 करोड़ रुपये का खर्च वहन करेगी.

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