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श्रीमंदिर प्रशासन ने दर्ज कराई शिकायत
पुरी। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने पुरी के माटीतोटा मौजा में भगवान जगन्नाथ की जमीनों पर फर्जीवाड़े और अतिक्रमण के खिलाफ बासेलीसाही थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
शिकायत में एसजेटीए ने आरोप लगाया है कि भगवान जगन्नाथ की 109 जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है और इन्हें गैरकानूनी तरीके से बेचने का प्रयास हो रहा है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ की जमीनों से जुड़े अवैध कार्य किसी भी हालत में सहन नहीं किए जाएंगे। उन्होंने पुरी कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक से सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि भूमि माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं।
कैसे हुआ घोटाला?
सूत्रों के अनुसार, कुछ भूमि माफियाओं ने माटीतोटा मौजा में भगवान जगन्नाथ की 109 जमीनों पर कब्जा कर लिया है। इन जमीनों को रजिस्ट्री कार्यालय के बजाय गैरकानूनी रूप से नोटरी के माध्यम से पंजीकृत कर बेचा जा रहा है।
आमतौर पर जमीन की रजिस्ट्री संबंधित कार्यालय में की जाती है, लेकिन भगवान जगन्नाथ की जमीनों को नोटरी के जरिए पंजीकृत कर बेचने के मामले ने सबको चौंका दिया है।
भक्तों की नाराजगी और कार्रवाई की मांग
इस घोटाले में कई भूमि माफियाओं के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। भगवान जगन्नाथ के भक्तों ने इस मामले में दोषी नोटरी और भूमि माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
भगवान जगन्नाथ की भूमि का दायरा
गौरतलब है कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर के पास ओडिशा और छह अन्य राज्यों में 60,822 एकड़ जमीन है। इसमें से 24 जिलों में महाप्रभु जगन्नाथ के नाम पर 60,426.943 एकड़ जमीन की पहचान की गई है।
दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
भगवान जगन्नाथ की भूमि की अवैध बिक्री के मामले में कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने रविवार को चेतावनी दी कि यदि मंदिर की भूमि को अवैध रूप से बेचा गया पाया गया, तो खरीदारों, विक्रेताओं और संबंधित सब-रजिस्ट्रारों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ की भूमि की अवैध बिक्री बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसी किसी भी लेन-देन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अतिक्रमित भूमि को बेचने की योजना
इसके साथ ही उन्होंने यह खुलासा किया कि कानूनी विभाग मंदिर की अतिक्रमित भूमि को बेचने की योजना बना रहा है, जिससे एक कोष स्थापित किया जा सके। उन्होंने बताया कि 2003 की नीति के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की अतिक्रमित भूमि के निपटारे की व्यवस्था की जाएगी। पुरी और राज्य के अन्य क्षेत्रों में लंबे समय से कई लोग भगवान की भूमि पर कब्जा किए हुए हैं।
10,000 करोड़ तक का कोष होगा स्थापित
कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि यह पहल अतिक्रमण हटाने और 8,000 से 10,000 करोड़ तक का कोष स्थापित करने में सहायक हो सकती है। छोटी भूमि के टुकड़े किफायती दरों पर बेचे जाएंगे।
उन्होंने बताया कि श्रीमंदिर की नई प्रबंधन समिति के गठन के बाद भगवान जगन्नाथ की सभी भूमि का निपटारा किया जाएगा, क्योंकि अधिकांश भूमि पर अवैध कब्जा है। यह समस्या केवल पुरी तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी भगवान जगन्नाथ की भूमि पर कई लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है।
कब्जेदार को खरीदने का होगा विकल्प
उन्होंने कहा कि जैसे ही जमीनें अतिक्रमणकारियों से मुक्त होंगी, हम एक कोष स्थापित करेंगे। यदि कोई व्यक्ति उस भूमि को खरीदना चाहता है, जिस पर उसने कब्जा कर रखा है, तो उसे भूमि का मानक या बाजार मूल्य चुकाना होगा। यदि सब कुछ ठीक रहा, तो हमें 8,000-10,000 करोड़ का कोष बनाने का विश्वास है।
देश के अन्य हिस्सों में संपत्तियों की होगी पहचान
उन्होंने बताया कि प्रारंभ में हमारा ध्यान ओडिशा में भूमि पर होगा और इसके बाद देश के अन्य हिस्सों में भगवान जगन्नाथ की संपत्तियों की पहचान करने के कदम उठाए जाएंगे। भगवान जगन्नाथ की भूमि की अवैध बिक्री में शामिल किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है।