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पर्यावरण संरक्षण के लिए वरदान बना इंजीनियरिंग को अलविदा कहना

  • जगतसिंहपुर के बेटे ने रोप डाले 10 लाख से अधिक मैंग्रोव पौधे

  • अमरेश का अभियान बना तट कटाव, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में स्थिर और प्रभावी उपाय

संजीव कुमार मिश्र, पारादीप।
इंजीनियरिंग को अलविदा कहकर एक युवक द्वारा शुरू की गयी पहल पर्यावरण संरक्षण के लिए बरदान साबित हो रही है। ओडिशा के जगतसिंहपुर के रहने वाले अमरेश नरेश सामंत ने अपनी इंजीनियरिंग की सफल करियर को छोड़कर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कदम रखा। उनका प्रमुख उद्देश्य था महानदी के मुहाने पर तट कटाव, बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक स्थिर और प्रभावी उपाय ढूंढ़ना। इसके लिए उन्होंने और उनके साथियों ने 10 लाख से अधिक मैंग्रोव पौधे रोपकर एक अभिनव पौधरोपण अभियान की शुरुआत की, जो आज क्षेत्र में पर्यावरण की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए महत्वपूर्ण बन गया है।
इस अभियान के माध्यम से अमरेश ने न केवल स्थानीय पर्यावरण की रक्षा की, बल्कि पारादीप और आसपास के क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं के खतरों को कम करने के लिए एक ठोस कदम भी बढ़ाया। मैंग्रोव पौधरोपण ने नदी की गति को नियंत्रित किया, जिससे बाढ़ के खतरे में कमी आई और तटों पर होने वाले कटाव को रोका गया। यह अभियान अब न केवल क्षेत्र के पर्यावरण के लिए एक वरदान बन चुका है, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए एक सशक्त उपाय प्रदान कर रहा है।
पर्यावरण प्रेमी अमरेश नरेश सामंत अपने संगठन बाबा बालुकेश्वर ग्राम्य विकास परिषद के साथ इस अभियान को आगे बढ़ा रहे हैं। इस उद्देश्य केवल पौधरोपण करना नहीं है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं से बचाव, समुद्री जीवन की रक्षा और स्थानीय पर्यावरण को सुरक्षित करना भी है।
महानदी के किनारे मैंग्रोव पौधरोपण
अमरेश नरेश सामंत ने अपनी पहल से महानदी अवबाहिका में मैंग्रोव वृक्षों का रोपण शुरू किया। दावा किया गया है कि पारादीप के तटवर्ती इलाकों में 10 लाख से अधिक मैंग्रोव पौधे रोपे गए हैं। इन पेड़ों की सुरक्षा और विकास के साथ-साथ इस अभियान ने तट कटाव, बाढ़, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक स्थिर और प्रभावी उपाय प्रस्तुत किया है।
मैंग्रोव वृक्षों ने मिट्टी के क्षय को रोकने में मदद की
महानदी के बहाव में हो रहे बदलावों ने एक नया परिपेक्ष्य प्रस्तुत किया है, जहां नदी की दिशा बदलने से तटों का कटाव हो रहा था, वही मैंग्रोव वृक्षों ने मिट्टी के क्षय को रोकने में मदद की है। अमरेश के अनुसार, इस पौधरोपण से नदी की गति को नियंत्रित किया जा सकता है और बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
दृढ़ संकल्प बन रहा मिसाल
अमरेश नरेश सामंत के इस अभियान की शुरुआत आसान नहीं थी। प्रारंभ में उन्हें न केवल प्राकृतिक विपत्तियों का सामना करना पड़ा, बल्कि स्थानीय लोगों की आलोचनाओं और विरोध का भी सामना करना पड़ा। लेकिन अमरेश और उनके संगठन ने इन मुश्किलों को चुनौती के रूप में लिया और अपना काम निरंतर जारी रखा। समय के साथ स्थानीय लोग भी इस अभियान में जुड़ने लगे और अब वे उत्साह से इस पौधरोपण अभियान में भाग ले रहे हैं।
समुदाय में जागरूकता का संचार
अमरेश की कार्यशैली ने स्थानीय समुदाय में जागरूकता का संचार किया है, जिससे लोग अब अपने आसपास के पर्यावरण को लेकर संवेदनशील हो गए हैं। उन्होंने हमेशा यह संदेश दिया कि प्राकृतिक आपदाओं का मुकाबला केवल पौधरोपण और सामूहिक प्रयासों से ही किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने की सराहना
अमरेश नरेश सामंत के प्रयासों को सिर्फ स्थानीय स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 75वें मन की बात कार्यक्रम में अमरेश के पौधरोपण प्रयासों की तारीफ की। उन्होंने कहा कि अमरेश और उनके साथियों ने न केवल पर्यावरण का संरक्षण किया, बल्कि यह पहल समुद्र के जीव-जंतुओं की रक्षा और स्थायित्व के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण साबित हो रही है। यह सराहना न केवल अमरेश के लिए बल्कि उनके अभियान से जुड़े सभी सदस्यों के लिए गर्व का विषय है।
प्राकृतिक आपदा नियंत्रण को पौधरोपण जरूरी
अमरेश ने अपने इंजीनियरिंग करियर को छोड़कर पर्यावरण संरक्षण की ओर रुख किया। उनका मानना है कि पौधरोपण से न केवल नदी की गति पर नियंत्रण पाया जा सकता है, बल्कि बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को भी रोका जा सकता है। वे अपने इस कार्य को और भी विस्तारित करने का इरादा रखते हैं और आने वाले वर्षों में इसे और प्रभावी बनाने का लक्ष्य रखते हैं।
समाज की भागीदारी का आह्वान
पारादीप नगरपालिका के अध्यक्ष बसंत विश्वाल और स्थानीय सरपंच देवेंद्र राउत ने इस अभियान को सार्वजनिक रूप से सराहा और लोगों से अपील की कि वे इसके महत्व को समझें और इस दिशा में कदम बढ़ाएं। इस अभियान से यह साबित होता है कि केवल सरकारी प्रयासों से पर्यावरण का संरक्षण नहीं किया जा सकता, बल्कि स्थानीय समुदाय की सक्रिय भागीदारी से ही वास्तविक बदलाव आ सकता है।
दृढ़ संकल्प को स्थापित किया
अमरेश नरेश सामंत और उनके संगठन ने यह साबित कर दिया कि एक दृढ़ संकल्प और सही दिशा में किए गए प्रयासों से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी प्रेरणा से ओडिशा के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के अभियान शुरू हो सकते हैं, जो न केवल पर्यावरण बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी साबित होंगे।
अमरेश ने कहा कि उनका यह कार्य न केवल पर्यावरण के लिए वरदान साबित हो रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित भविष्य की ओर एक कदम और बढ़ने का संकेत भी है।

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