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राज्य के कानून मंत्री ने पुनर्वास उपायों में बदलाव के संकेत दिए
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परिवार में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु पर नौकरी के बजाय मिल सकती है वित्तीय सहायता
भुवनेश्वर। ओडिशा में अनुकंपा नौकरी न मिलने पर एकमुश्त वित्तीय सहायता का प्रावधान हो सकता है। ओडिशा सरकार अपने सरकारी कर्मचारियों की मृत्यु की स्थिति में उनके परिवारों के पुनर्वास हेतु एक महत्वपूर्ण कदम उठा सकती है। यदि पुनर्वास प्रणाली के तहत परिवार के किसी सदस्य को रोजगार देना संभव नहीं है, तो एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जा सकती है।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने हाल ही में इस पर संकेत दिया है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए हरिचंदन ने बताया कि 1990 की पुनर्वास नीति के अनुसार, यदि परिवार में कार्यरत सदस्य की मृत्यु हो जाती थी, तो परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी दी जाती थी। हालांकि, 2020 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस नीति में बदलाव किया गया था। इस नई नीति के तहत एक ऐसी स्थिति उत्पन्न की गई, जिसमें किसी को भी नौकरी नहीं मिल पाई।
मंत्री हरिचंदन ने बताया कि जिनके परिवार के सदस्य की मृत्यु 2020 से पहले हुई थी, उन्हें भी 2020 के नियमों के आधार पर ही आंका गया। इसके परिणामस्वरूप, किसी को भी नौकरी नहीं मिल सकी। जो लोग नौकरी के लिए आवेदन कर रहे थे, वे कानूनी मामलों का सामना कर रहे थे। मंत्री के अनुसार, ऐसे मामलों में कानून विभाग की स्वीकृति आवश्यक होती है।
गोल्डन हैंडशेक राशि देने पर विचार
मंत्री ने बताया कि हाल ही में कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर काफी बहस हुई। मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने इस विषय पर अपनी दलीलें रखीं। मंत्री ने सुझाव दिया कि यदि सरकार नौकरी देने में असमर्थ है, तो पुनर्वास योजना के तहत 30 से 40 लाख रुपये की ‘गोल्डन हैंडशेक’ राशि देने पर विचार किया जा सकता है।
नीतियां कर्मचारियों के कल्याण के लिए होंगी
कानून मंत्री ने इस जानकारी को लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग संगठन के स्थापना दिवस के अवसर पर साझा किया। मंत्री हरिचंदन ने कहा कि इस प्रकार के उपाय कर्मचारियों के अनुकूल होने के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार की नीतियां कर्मचारियों के कल्याण के लिए अनुकूल होंगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा।
पिछली सरकार का बदलाव सिरदर्द
उन्होंने कहा कि 1990 की पुनर्वास नीति के अनुसार, जब राज्य सरकार के किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती थी, तो उसके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाती थी। हालाँकि, 2020 में सरकार ने इस नीति में बदलाव कर एक ऐसी स्थिति उत्पन्न की, जिससे किसी को भी नौकरी नहीं मिल सकी। अब सरकार परिवार के एक सदस्य को 30 से 40 लाख रुपये की ‘गोल्डन हैंडशेक’ देने पर विचार कर रही है।
ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने हाल ही में इस पर संकेत दिया है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए हरिचंदन ने बताया कि 1990 की पुनर्वास नीति के अनुसार, यदि परिवार में कार्यरत सदस्य की मृत्यु हो जाती थी, तो परिवार के किसी अन्य सदस्य को नौकरी दी जाती थी। हालांकि, 2020 में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा इस नीति में बदलाव किया गया था। इस नई नीति के तहत एक ऐसी स्थिति उत्पन्न की गई, जिसमें किसी को भी नौकरी नहीं मिल पाई।
मंत्री हरिचंदन ने बताया कि जिनके परिवार के सदस्य की मृत्यु 2020 से पहले हुई थी, उन्हें भी 2020 के नियमों के आधार पर ही आंका गया। इसके परिणामस्वरूप, किसी को भी नौकरी नहीं मिल सकी। जो लोग नौकरी के लिए आवेदन कर रहे थे, वे कानूनी मामलों का सामना कर रहे थे। मंत्री के अनुसार, ऐसे मामलों में कानून विभाग की स्वीकृति आवश्यक होती है।
गोल्डन हैंडशेक राशि देने पर विचार
मंत्री ने बताया कि हाल ही में कैबिनेट की बैठक में इस मुद्दे पर काफी बहस हुई। मुख्य सचिव सहित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने इस विषय पर अपनी दलीलें रखीं। मंत्री ने सुझाव दिया कि यदि सरकार नौकरी देने में असमर्थ है, तो पुनर्वास योजना के तहत 30 से 40 लाख रुपये की ‘गोल्डन हैंडशेक’ राशि देने पर विचार किया जा सकता है।
नीतियां कर्मचारियों के कल्याण के लिए होंगी
कानून मंत्री ने इस जानकारी को लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग संगठन के स्थापना दिवस के अवसर पर साझा किया। मंत्री हरिचंदन ने कहा कि इस प्रकार के उपाय कर्मचारियों के अनुकूल होने के लिए किए जा रहे हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार की नीतियां कर्मचारियों के कल्याण के लिए अनुकूल होंगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा।
पिछली सरकार का बदलाव सिरदर्द
उन्होंने कहा कि 1990 की पुनर्वास नीति के अनुसार, जब राज्य सरकार के किसी कर्मचारी की मृत्यु हो जाती थी, तो उसके परिवार के किसी सदस्य को नौकरी दी जाती थी। हालाँकि, 2020 में सरकार ने इस नीति में बदलाव कर एक ऐसी स्थिति उत्पन्न की, जिससे किसी को भी नौकरी नहीं मिल सकी। अब सरकार परिवार के एक सदस्य को 30 से 40 लाख रुपये की ‘गोल्डन हैंडशेक’ देने पर विचार कर रही है।