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अवैध कब्जा कर बन रहा है इसलामनगर
भुवनेश्वर। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने मालकानगिरि जिले में वन भूमि पर अवैध रुप से कब्जा कर “इसलामनगर” बनाये जाने के मामले को स्वतः संज्ञान लिया है। 30 सितंबर 2024 को प्रकाशित एक समाचार लेख के आधार पर यह याचिका पंजीकृत की गई ।
इस मामले में एनजीटी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ), वन विभाग, और मालकानगिरि जिले के कलेक्टर को नोटिस जारी कर यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि कैसे विभिन्न सरकारी योजनाओं, जिनमें महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) भी शामिल है, के फंड का उपयोग करके सड़कों, भवनों, तारबंदी और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया।
प्रतिवादियों को अगली सुनवाई से कम से कम एक सप्ताह पहले, कोलकाता के पूर्वी क्षेत्रीय पीठ के समक्ष शपथ पत्र के माध्यम से अपने उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है। एनजीटी के नोटिफिकेशन के अनुसार, यदि कोई प्रतिवादी बिना अपने अधिवक्ता के माध्यम से सीधे उत्तर प्रस्तुत करता है, तो उसे आभासी रूप से प्राधिकरण की सहायता करने के लिए उपस्थित रहना होगा।
उल्लेखनीय है कि इस तरह के आरोप हैं कि वन भूमि अवैध कब्जा कर बड़े तालाब खोदे गए, गोदाम बनाए गए, और ट्रांसफार्मर लगाए गए, जिससे राज्य संसाधनों का बड़े पैमाने पर उपयोग हुआ। यह विकास वन संरक्षण अधिनियम 1980 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन माना जा रहा है।
पूर्वी क्षेत्रीय पीठ, कोलकाता के अधिकार क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए, मामले को संबंधित पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया है, और एनजीटी ने कार्यालय को निर्देश दिया है कि वह मूल रिकॉर्ड को पूर्वी क्षेत्रीय पीठ में स्थानांतरित करे। सुनवाई 3 दिसंबर 2024 को निर्धारित की गई है।
उल्लेखनीय है कि सितंबर में मालकानगिरि जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई थी, जिसमें मोटु क्षेत्र में लगभग 100 एकड़ वन भूमि पर अवैध कब्जा किये जाने की बात सामने आयी थी। इस कब्जे पर इसलामनगर का निर्माण किया गया है। इस मामले ने स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के संदेह पैदा हुआ था। किये जाने की बात सामने आयी थी।
इसलामनगर को वन भूमि पर अवैध रूप से नेशनल हाइवे 326 से 2-3 किमी दूर, सबरी नदी के किनारे घने जंगलों के बीच में स्थापित किया गया है। निर्माण प्रक्रिया में एक कच्ची सड़क बनाना और तार की बाड़ लगाना शामिल था।