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बाजरा और भूले-बिसरे खाद्य पदार्थों पर ओडिशा की विशेष पहल शुरू
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मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की नई पहल से मिलेट्स को मिलेगी नई दिशा
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ओडिशा में मिलेट्स और भूले-बिसरे खाद्य पदार्थों पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी
भुवनेश्वर। ओडिशा के मुख्यमंत्री ने बाजरा को प्रसाद के रूप में चढ़ाने का आह्वान किया है। उनकी इस आह्वान से बाजरा के साथ-साथ भूले-बिसरे खाद्य पदार्थों के प्रयोग के लिए एक नई दिशा मिलेगी।
ओडिशा कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग के तत्वाधान में आज भुवनेश्वर के लोक सेवा भवन में श्री अन्न और ओडिशा की कृषि विरासत का उत्सव विषय पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री मोहन चरण मांझी ने किया। इस मौके पर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन माझी ने रविवार को राज्य के लोगों से आग्रह किया कि वे ओड़िया महीने ‘मार्गसिरा’ में आने वाले ‘मनवासा गुरुवार’ के अवसर पर देवी लक्ष्मी को बाजरे से बने खाद्य पदार्थ अर्पित करें।
मुख्यमंत्री ने इस पहल को राज्य में बाजरा अनाज के सेवन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी माताएं इस मनवासा गुरुवार का आयोजन करती हैं। मैं अपनी सभी माताओं और बहनों से आग्रह करता हूं कि इस पावन अवसर पर बाजरा अन्न देवी लक्ष्मी के समक्ष अर्पित करें और परिवार के प्रत्येक सदस्य को शिलाई अन्न से बने स्वादिष्ट व्यंजन परोसें।
उन्होंने इस पहल को राज्य में स्वास्थ्य, पोषण और कृषि के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बताया। मुख्यमंत्री ने विश्वास जताया कि यह पहल आने वाले समय में इस अन्न के उपयोग को एक नई पहचान दिलाएगी और लोगों में इसके फायदे के बारे में जागरूकता बढ़ाएगी।
उल्लेखनीय है कि दो दिवसीय यह संगोष्ठी मिलेट्स और भूले-बिसरे खाद्य पदार्थों की भूमिका पर केंद्रित है, जो खाद्य सुरक्षा, जलवायु अनुकूलता, और सतत कृषि में अहम योगदान दे सकते हैं। सूखे और कीट प्रतिरोधी ये पारंपरिक फसलें ओडिशा की जलवायु के अनुकूल हैं और राज्य के कृषि परिदृश्य के लिए आदर्श मानी जाती हैं।
इस संगोष्ठी में 11 सत्र हैं, जिनमें नवाचार कृषि प्रथाएं, कृषि जैव विविधता, नीति समर्थन और बाज़ार अवसरों पर चर्चा की जाएगी। इसमें ओडिशा को भारत का मिलेट हब बनाने का विषय प्रमुख विशेष है और इस पर भी विशेष सत्र रखा गया है, जिसमें प्रसंस्करण, जैविक प्रथाओं और निर्यात क्षमता पर विचार किया जाएगा।
इस दौरान पारंपरिक भोजन, कला, और पाक विरासत की कहानियों के माध्यम से भूले-बिसरे खाद्य पदार्थों की सांस्कृतिक महत्ता का उत्सव मनाया जाएगा।
इस सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधि, कृषि वैज्ञानिक, शोधकर्ता, विशेषज्ञ, बुद्धिजीवी, विभिन्न जिलों के किसान और प्रमुख महिला किसान शामिल हुए हैं।